दीवारें......?

ये दीवारें जो बोलती नहीं कुछ... ! सुनती हैं सब....! सुना है कि मैंने दीवारों के भी कान होते हैं !! क्या वास्तव में , ये सच है ! या कि यूं ही, दीवारों को बदनाम किया जाता है। ये दीवारें....., जो देखती हैं रंजो-गम, तकरार, फसाद, खुशियां, प्यार, एतबार' औ'मातम भी, और भी न जाने क्या - क्या ? देती नहीं पर कभी प्रतिक्रिया ... खड़ी रहती हैं ये मूक दर्शक की भांति! बनती इतिहास की साक्षी फिर भी हैं बदनाम कि दीवारों के भी कान होते हैं । पर क्या वे दीवारें नहीं दिखती ? जो खडी की हमने तुम्हारे - मेरे दरम्यान बंट गई है मानवता, जिनके कारण जाति-धर्म, ऊंच-नीच अपने-पराए, अपने - अपनों के बीच बंट गए घर, रिश्ते, मां-बाप.......? और न जाने क्या-क्या? ये दीवारें जो दिखती नही...