"नारी की कहानी "

है करूण कहानी नारी की
झुलसाती हैअग्नि तन को
            उस पर होते अत्याचारों की,
              यह करुण कहानी नारी की।

नारी ममत्व की गरिमा थी,
        इस सृष्टि की है वह जननी,
                देखो पुरुषों की करतूतें
              नारी का किया है सीना  छलनी। 

बन गई भोग-विलास का साधन ,
      रह गई मांस-पिण्ड का टुकड़ा ,
                   न अब नारी श्रद्धा है
                   न है अब वह मां की गरिमा।  

बनी मेनका, बनी उर्वशी,
          बन कर रह गई पुरुषों की तृष्णा,
                  यह करुण कहानी नारी की,
                  उस पर होते अत्याचारों की। 

नर पर नारी सदा से भारी,
          पर नारी किस्मत की मारी
             समझ न पाई खुद को नारी,
                 इसीलिए वह बनी बेचारी।

वधू बेटी बहिना और भाभी,
        इन शब्दों की खो गई गरिमा।
              नारी खुद को क्या भूली,
                 नारी की तो खो गई महिमा ।

अबला नारी केवल रह गई
         पुरुषों के मन की बन तृष्णा ।
           दुर्गा, काली, लक्ष्मी की गरिमा,
             रह गई केवल इतिहासों में ।
               नारी की महिमा देखो कैसे!!
                 खोती जा रही कुहासों में ।

अबोध कलियों की सिसकियां
         मानवता को दफना रही।
            घर-घर को महकाने वाली,
              अपमानित जीवन बिता रही।

यह करुण कहानी नारी की ,
     उस पर होते अत्याचारों की।
         छिपे भेड़िये लगा मुखौटे ,
             कब कोई उसको आ लूटे ।

नहीं सुरक्षित अब,,
            घर बाहर बेटी ।
              मां-बाप की चिंता बढती
               यह करुण कहानी नारी की
                   है करुण कहानी नारी की।
🙄🙄🙄अभिलाषा🙄🙄🙄
चित्र गूगल से साभार 

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