सरसी छंद विधान
सरसी छंद विधान
सरसी छंद चार चरणों का एक विषम मात्रिक छंद है । इस छंद में चार चरण और 2 पद होते हैं । इसके विषम चरणों में 16-16 मात्राएं और सम चरणों में 11-11 मात्राएं होती हैं । इस प्रकार इस छंद में 27 मात्राएं होती हैं। । सरसी छंद के विषम चरण में चौपाई के समान 16 मात्रा होती हैं और यह चौपाई के नियमों के अनुरूप होती है ।वहीं इसका सम चरण दोहा के सम चरण के समान होता है,दोहा के सम चरण में 11 मात्राएं और अंत में गुरु लघु होता है।
16/11/चरणान्त21
"कृष्ण स्तुति "
केशव माधव मदन मुरारी,तुम ही मेरे प्राण।
अच्युत मोहन गिरधर नागर,कर दो सबका त्राण।
श्यामल गात पीत पट शोभित,
मोर मुकुट सज शीश।
अधरों पर मुरली राजत है,जय
जय जय जगदीश ।
आनन पंकज नेत्र चंचला,काले
घूंघर बाल।
उर बैजंती माल सुशोभित,चंदन
शोभित भाल।
भक्त वत्सला गिरधर कान्हा,
करते बेड़ा पार ।
उँगली पर गोविन्द लिये थे,
गोवर्धन का भार।
दानव-दल का करते मर्दन,और
रचाते रास।
धेनु चरावें वेणु बजावें,राधा के
उर आस।
नंद-यशोदा हर्षित होते,कैसा
अद्भुत लाल।
माखन चोर फोड़ता मटकी,गोपीं
हो बेहाल।
पांचाली के आर्तनाद पर,तुरत
बढ़ाया चीर।
कायरता का चरम हुआ अब,
शंख फूंक दो वीर।
बने सारथी युद्ध क्षेत्र में,देते
गीता ज्ञान।
पार्थ अधर्म का अंत सदा हो,
बचे धर्म का मान।
हे दामोदर कुंजबिहारी,जीवन
के आधार।
जग जीवन छाया अंधियारा,
अर्ज करो स्वीकार ।
दीन-हीन अबला पर होते,भीषण
अत्याचार ।
भूले भेद धर्म-अधर्म का,आ
जाओ इक बार ।
दिशाहीन भटके मानव को,नाथ
दिखाओ राह।
डूब रही है जीवन नैया,पूरी कर
दो चाह।
सृष्टि नियंता दीनबंधु हे,क्षमा करो सब पाप।
वासुदेव हमको अपना लो,विरह बढ़ाता ताप।
©️अभिलाषा चौहान
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवारवार 27 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय सादर
हटाएंवाह! सखी ,बहुत खूबसूरत सृजन!
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब सरसी छंद...
सहृदय आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर
हटाएंबहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तुति अभिलाषा जी! श्री कृष्ण भारतीय संस्कारों के प्राण हैं! शब्दों में जीवंत हो गए कृष्णा! छन्द विधान अभिनव है! ४
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार प्रिय रेणु बहन आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया पाकर सृजन सार्थक हुआ सादर
हटाएंसहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया पाकर
जवाब देंहटाएंसृजन सार्थक हुआ
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर
हटाएंबहुत ही मोहक कृष्ण स्तुति
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर
हटाएंबहुत सुन्दर "कृष्ण स्तुति "
जवाब देंहटाएंजय श्री राधे कृष्णा 🙏
सहृदय आभार रूपा जी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर
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