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हिंदी भाषा और अशुद्धिकरण की समस्या-3

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गतांक से आगे- वर्तनी की अशुद्धि से शब्द का अर्थ ही नहीं बदलता बल्कि उसका सौंदर्य भी नष्ट हो जाता है।इसके बाद यदि वाक्य में शब्द का अन्वय सही नहीं है तो वाक्य अशुद्ध हो जाता है।मुझे यह जान कर दुख होता है कि जिस भाषा को काव्य की भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अपना जीवन समर्पित कर दिया ,आज उसी हिंदी भाषा में गद्य और पद्य दोनों में त्रुटियों का समावेश हो चुका है।कितना अथक परिश्रम किया था उन्होंने ,संपादक का पूर्ण दायित्व निभाते हुए प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक तो  बने ही, पुनर्जागरण काल के प्रणेता थे वे। खड़ी बोली को काव्य भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में उनकी भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। सरस्वती पत्रिका का संपादन कार्य‌‌‌ सम्हालने के साथ ही उन्होंने हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार का कार्य भार सम्हाल लिया।पत्रिका में जितनी भी रचनाएं प्रकाशित होती,उनकी वर्तनी और व्याकरणिक अशुद्धियों को वे जब तक शुद्ध न कर लेते तब तक पत्रिका में प्रकाशित नहीं करते थे,उन्होंने कवियों को खड़ी बोली में काव्य रचना के लिए प्रोत्साहित किया। अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध

हिंदी भाषा और अशुद्धिकरण की समस्या-2

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आदरणीय मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत श्री संजय कौशिक'विज्ञात'जी और सखी नीतू ठाकुर'विदुषी'जी चाहते हैं कि मैं इस समस्या पर और कार्य करूँ।करना भी चाहती हूँ,पर सोचती हूँ क्या मेरे लिख देने मात्र से कोई क्रांति संभव है?? मेरे विचार से इसका उत्तर"नहीं"है। आज लाखों लोग सोशल मीडिया पर साहित्य सेवा में लीन हैं।कई एप्प भी हिंदी साहित्य लेखन के लिए इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।हिंदी प्रतिलिपि,स्टोरीमिरर, वेबदुनिया इत्यादि। मैं हिंदी प्रतिलिपि और स्टोरीमिरर दोनों पर लिखती हूँ।वहाँ रहस्य ,रोमांच,प्रेम , सामाजिक,देश, आध्यात्मिक आदि विविध विषयों पर अच्छी रचनाएँ लिखी जा रहीं हैं। अच्छी-खासी पाठक संख्या है वहाँ।लाखों लोग जुड़े हुए हैं और रचनाओं को पसंद कर रहें हैं,इसके लिए मैं एप्प संचालकों को धन्यवाद देना चाहती हूँ, लेकिन वहाँ भी यही समस्या है जो मुझे दुखी करती है भाषा में अशुद्ध शब्दों का प्रयोग।पाँच सितारा लेखक की भाषा में अशुद्धियों की भरमार देख मन दुखी हो उठा।इस पर प्रश्न भी उठाया़। बहस भी हुई,पर निष्फल रही।वहाँ लिखना महत्वपूर्ण है,कैसे लिखा जा रहा ये महत्त्वपूर्