किस्मत या भाग्य

अक्सर लोगो को भाग्य या किस्मत खराब होने का रोना रोते हुए देखा गया, क्या वास्तव में यह सच है ? नहीं ये सच नहीं है. भाग्य मायने रखता है पर यदि कोई बिना कर्म किए ही जीवन में सब कुछ पाना चाहे तो यह संभव नहीं, काल्पनिक उड़ानों से सपने सच नहीं होते और न ही सफलता मिलती है, उसके लिए श्रम का बीज बोना पडता है, मेहनत की खाद डालनी पडती है, पसीने से सींचना पडता है तब कहीं जाके सफलता का पौधा उत्पन्न होता है. कर्म से जी चुराना, दूसरों को दोष देना, असुविधाओं का रोना, रोना, अनैतिक आचरण करना ये सब उन लोगों के लक्षण हैं जो ये सोचते हैं कि वे बिना कुछ किए उन्हें सब कुछ हासिल हो जाएगा, लेकिन न ऐसा हुआ है और न कभी ऐसा होगा । ऐसा क्यो होता है इसका क्या कारण है ? इसका कारण हमारे और आपके बीच ही है, बच्चों को बडा़ सपना तो दिखा दिया जाता है, पर उस मार्ग पर चलना कैसे है यह नहीं बताया जाता, नैतिकता का आचरण कैसे किया जाए इसकी शिक्षा नहीं दी जाती, जिम्मेदारी का अहसास नहीं कराया जाता. अरे पहले उन्हें इंसान होने का महत्व समझाओ, बाकी तो बाद की बातें हैं यही कारण है कि या तो व्यक्ति का पतन होता है या परिवार का और फिर सबका और फिर रोया जाता है किस्मत का रोना. सोचिये और विचारिए 🙏🙏🙏🙏🙏

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