परवरिश
भारतीय समाज में परवरिश अर्थात् संतान का लालन पालन करना कठिन कार्य है क्योंकि यहाँ का सामाजिक ढांचा परम्पराओ से जकडा हुआ है । मान्यताओं के हिसाब से ही संतान की परवरिश की जाती है इसमें सबसे बड़ा प्रश्न यही होता है कि लोग क्या कहेंगे? अरे! लोगों का क्या है वो तो कहते ही रहते हैं। सोचने वाली बात यह है कि हम क्या कर रहे हैं और संतान को क्या बना रहे हैं क्योंकि समय के साथ चलना और उसके हिसाब से अपनी सोच को बदलना ही समझदारी है लेकिन ऐसा होता नहीं, परिणाम संतान का अनुशासन हीन होना और परिवार का बिखरना। आज हमारे जीवन की अनेक समस्यायें इसी कारण उत्पन्न है, न हम अपनी सोच बदलेंगे न समाज को बदल पायेंगे और दो नावों में सवार होकर अपनी संतान की परवरिश करना चाहेंगे तो टकराव तो होगा ही। आज जीवन में सभी समस्याये इसी कारण है सोचिये जरा! 🙏🙏🙏
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