कविताएँ *** मेरा जीवन ****।
अपने सुख को औरों के, सुख मे जलते देखा।
फिर भी मन में है, तृप्ति की रेखा।।
मेरा दुख मुझे प्रतिपल आभास कराता है।
संसार के सत्स्वरूप का परिचय कराता है।।
पुष्प तो चुनते हैं सभी जीवन के लिए।
लेकिन साज मैंने जिन्दगी को शूलों के दिए ।
शूलों ने क्षत- विक्षत कर दिया मुझे।
मेरे क्षत संसार की पीड़ा दिखाते हैं मुझे ।।
इन क्षतों ने मेरे जीवन को,
इक स्वर्णिम स्वप्न दिखाया है।
खुद को खोकर पग - पग पर ,
अपनी आत्मा को प्रबल बनाया है। ।
🙏🙏🙏🙏🙏अभिलाषा🙏🙏🙏🙏🙏
फिर भी मन में है, तृप्ति की रेखा।।
मेरा दुख मुझे प्रतिपल आभास कराता है।
संसार के सत्स्वरूप का परिचय कराता है।।
पुष्प तो चुनते हैं सभी जीवन के लिए।
लेकिन साज मैंने जिन्दगी को शूलों के दिए ।
शूलों ने क्षत- विक्षत कर दिया मुझे।
मेरे क्षत संसार की पीड़ा दिखाते हैं मुझे ।।
इन क्षतों ने मेरे जीवन को,
इक स्वर्णिम स्वप्न दिखाया है।
खुद को खोकर पग - पग पर ,
अपनी आत्मा को प्रबल बनाया है। ।
🙏🙏🙏🙏🙏अभिलाषा🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंSoo true....
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