करार (वर्ण पिरामिड)

है मन व्याकुल टूटा-दिल छिना सुकून जिंदगी बेजार कैसे आए करार। ना ढूंढों करार बाह्य-जग कोई न मीत मजाक बनता घाव और बढ़ता। न आए करार दिल-हार मन-चंचल प्रेम का चातक ढूंढ़ता स्वाति बूंद। वो वीर शहीद खोया लाल स्तब्ध मां-बाप पत्नी बनी बुत कैसे आए करार? वे वीर शहीद किया घात आतंक ओट हतप्रभ देश नहीं आता करार। न आए करार वीर-लाल आतंक भेंट पीठ पर वार अब करो संहार। अभिलाषा चौहान स्वरचित मौलिक चित्र गूगल से साभार