जिंदगी एक पहेली

"जिंदगी कैसी है पहेली हाए,
कभी ये हंसाए कभी ये रूलाए।"

सच पूछो तो ये जिंदगी एक 
पहेली ही है।जब हमें लगता है कि सब
अच्छा हो रहा है,सब ठीक है तभी ये 
अपना रंग बदल देती है।हम पहेलियां
सुलझाते हैं और यह हमें पहेलियों में
उलझाती रहती है।

'जिंदगी इम्तिहान लेती है' यह गीत भी
इसी फलसफे को सच सिद्ध करता है।
मां की कोख में पलने वाला जीवन,
उसके ममतामयी आंचल में बढ़ने वाला
जीवन ,पिता की छत्रछाया में भविष्य की
नीवं रखता बचपन, हंसता-खेलता आगे बढ़ता है।
फिर शुरू होते हैं इम्तिहान।ये एक बार
शुरू होते हैं तो खत्म ही नहीं होते,ऐसा
लगता है जैसे-" जिंदगी हर कदम इक नई
जंग है।"

इस जिंदगी को कोई मस्तमौला
बनकर जीता है और"हर फिक्र को धुंए में
उड़ाता चला गया, मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया"की तर्ज पर जिंदगी
जीता है तो कोई इसे बोझ समझ लेता है।
"न कोई उमंग है न कोई तरंग है,मेरी जिंदगी
तो बस कटी पतंग हैं।"किसी को ये सफर
बड़ा सुहाना लगता है-"जिंदगी इक सफ़र है
सुहाना, यहां कल क्या हो ,किसने जाना"
सही भी है,भला कौन जान पाया है कभी
कि अगले पल क्या होगा?किसी के लिए
'प्यार ही जिंदगी 'बन जाता है तो कोई इसके वास्तविक महत्त्व को समझता है और उसके
लिए-"जिंदगी प्यार का गीत है,इसे हर दिल
को गाना पड़ेगा।"यही जिंदगी का सच है,अगर सबके दिल में सभी के लिए प्यार
हो तो फिर कैसे द्वेष और कैसे मतभेद?

कभी-कभी अचानक जीवन में कुछ ऐसे
क्षण आ जाते हैं कि हम हैरान और परेशान
हो जाते हैं क्योंकि वह हमारी सोच से परे
होता है,ऐसा लगता है जैसे जिंदगी हमसे
कोई प्रश्न कर रही हो और उसका जबाव
हमें देना है-
" तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं,
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूं मैं।"

चाहे हम कितने ही परेशान हो, कितने ही
संकटों से घिरे हों, विपत्तियां हमारा मार्ग
रोकती हों,हम हताश और निराश होकर
हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहें किंतु इसकी
रफ़्तार कम नहीं होती,वह चलती रहती है,
सुबह से शाम की और ढलती रहती है,बस
यही सनातन सत्य है-
" जीवन चलने का नाम
चलते रहो सुबहोशाम।"

अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक



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