दोहावली


कर्म
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सूरज बन चमको सदा, करो बड़ों का मान,
अच्छे कर्म करो सदा, जग में हो यशगान।।
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पानी
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पानी सदा सहेजिए,ये तो है अनमोल।
जीवन के लिए अमृत है,देखो आंखें खोल।
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वर्षा जल संचय करो, बूंद-बूंद अनमोल।
जल के बिन जीवन नहीं,देखो आंखें खोल।।
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जल के बिन जीवन नहीं,समझो इसका मोल।
जल संकट है सामने,देखो आंखें खोल।।
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अस्तित्व
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मानव इस संसार में,तू है बूंद समान।
कब माटी मिल जाएगा,काहे का अभिमान।।
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सावन
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सावन आया है सखी,मन में उठे उमंग।
रिमझिम बारिश हो रही,सखियां झूमें संग।।
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झूला झूलें सब सखी ,गाए सावन गीत
रिमझिम बारिश हो रही,छलक उठी है प्रीत।।
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सावन आया ऐ सखी,मन में उठती पीर ।
पिय मेरे अति दूर हैं ,दिल हो रहा अधीर।।
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भाषा
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भावों के उद्गार में,भाषा है वरदान।
मन की गांठें खोल दे,रिश्तों की है जान।।
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भली-बुरी हर बात में,भाषा है आधार
मधुर वाणी बने सदा,मनुज गले का हार।।
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भाषा इस संसार में,सब उन्नति को मूल।
सुंदर भावों से भरी, जैसे सुरभित फूल।।
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भाषा से ही भावना,पाती है संस्कार।
उत्तम भाषा से सदा,सुंदर बने विचार।।
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वाणी
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हृदय सदा हैं भेदते,कटु वाणी के तीर।
मन में उपजे वेदना, नयनों बहता नीर।।
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संदेश
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तन-मन झूम उठा सखी,जब आया संदेश।
विरह वेदना मिट गई,पी लौटेंगे देश।।
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सत्साहित्य पढ़ो सदा,मन से मिटे विकार
श्रेष्ठ संदेश दें सदा,हो सुंदर आचार।।
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जग में करूणा-प्रेम का,देना तुम संदेश।
पथ अपना मत त्यागना,रहना देश-विदेश।।
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मन
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मन माया में डूबता,कैसे पहुँचे पार।
हरि भक्ति में रमे नहीं,कैसे हो उद्धार।।
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मन चंचल अति बावरा,भटके है दिन-रात।
जाने किसको ढूंढता,तड़प-तड़प रह जात।।
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मीरा के मन हरि बसे,भजन करे दिन-रात।
प्रेम-भक्ति में बावरी,दर्शन को अकुलात।।
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अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक

टिप्पणियाँ

  1. अति सुंदर दोहावली ,
    सार्थक संदेश

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 24 सितंबर 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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