नव विहान

सभी विद्वजनों और साथी मित्रों को नववर्ष की मंगलमय शुभकामनाएँ।आस-विश्वास, सुख-स्वास्थ्य,धन-धान्य,उन्नति एवं समृद्धि सभी के जीवन में पदार्पण करें। अंधकार चीरती ,भानु की पहली किरण। बीतती विभावरी,कलुषता का है मरण। पुष्प डाल खिल उठे,वृक्ष पात झूमते। शंख की निनाद से, मंदिर भी गूँजते। उठ चले चरण सभी,देख नव विहान में। ऋषि-संत भी लगे,योग तप-ध्यान में। सुखद भोर आ गई,दुख का अब हो हरण। अंधकार चीरती............... जिंदगी से प्रीत हो,आस का नवगीत हो। दूसरों के दुख हरें, अब चले यह रीत हो। कष्ट बेबसी मिटे, जिंदगी ना भार हो। भेदभाव ऊंच-नीच,मन से अब बिसार दो। कर्म का ही धर्म हो,लक्ष्य का करो वरण। अंधकार चीरती..................... लक्ष्य हो विकास का,मिटे नाम विनाश का। स्वावलंब उर बसे,फल मिले प्रयास का। विरोध भाव दूर हो,समत्व का प्रसार कर। चुनौतियों से लड़ सदा,सत्य को विचार कर। हार-जीत त्याग कर, सुपंथ पर धरो चरण। अंधकार चीरती.................... पत्थरों में बीज रोप,चेतना की हो फसल। दीप जो न जल सके,लौ जले वहीं असल। कुरीतियों की दीमकें, रूढ़ियों के हैं जो घुन। है पुकार काल की,मिटा इन्हें, यही हो धुन। जग...