अनुभव - कुडलियाँ छंद









अनुभव से बढ़कर नहीं,कोई सच्चा ज्ञान।

ठोकर खाकर सीखले,वो होता इंसान।।

वो होता इंसान,सत्य को जो पहचाने।

दुर्गुण सारे त्याग,सुपथ पर चलना जाने।।

कहती अभि निज बात,मिले तब सच्चा वैभव।

पल-पल मिलती सीख,उसे कहते हैं अनुभव।।



अनुभव जिनके पास हो,वो जन गुरू समान।

भले-बुरे के भेद को,पल में लें पहचान।।

पल में लें पहचान, बात सब उनकी मानो।

कड़वी लगती सीख,भले ही झूठी जानो।

कहती अभि निज बात,सीख से मिलता वैभव।

आए विपत्ति काल,काम आए तब अनुभव।।



अनुभव जीवन को सदा,देता सच्ची राह।

कर्म करो यह जानकर,होगी पूरी चाह।

होगी पूरी चाह,स्वप्न भी होंगे पूरे।

लगती कड़वी सीख,घिरे घनघोर अँधेरे।

कहती अभि निज बात,अगर पाना है वैभव।

समझो जीवन सार,वही होता है अनुभव।।


अभिलाषा चौहान 



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