यात्रा भव्यता से दिव्यता तक-७

गतांक से आगे

राजा दशरथ महल के पास ही एक बहुत प्राचीन मंदिर है।यह भव्य और दिव्य मंदिर है।इसका नाम है" दरबार श्री लाल साहिब "यहां पर राम और कृष्ण की सुंदर प्रतिमाएं स्थापित है।शिल्प कला और स्थापत्य की दृष्टि से यह मंदिर अद्भुत है और यह राजा दशरथ महल का अभिन्न अंग है। यहां राजा दशरथ का पूरा परिवार त्रेता युग में रहा करता था।अब समय हो चला था । हमें राम लला के दर्शन के लिए निकलना था ।दशरथ महल से लगभग सौ मीटर की ही दूरी होगी।हमारा दर्शन समय हमने ऑनलाइन बुक कर लिया था। मंदिर परिक्रमा मार्ग में एक ओर प्राचीन मंदिर और दूसरी ओर नव-निर्मित दुकानें, रेस्टोरेंट इत्यादि थे।अब हम मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुंच चुके थे।प्रवेश द्वार से पहले ही हमें अपने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लाॅकर में रखने पड़े। यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। आपको जांच प्रक्रिया से गुजर कर ही अंदर प्रवेश मिलता है।आपका परिचय पत्र साथ में होना चाहिए।करीब चार जगह सुरक्षा जांच के बाद हम मंदिर प्रांगण में थे।विशाल प्रांगण और भव्य निर्माण कला हमारा मन मोह रही थी। मंदिर का शिल्प अनूठा था लेकिन अभी हम मंदिर से दूर थे। हमें अपने जूते-चप्पल पादुका स्थल पर रखने थे।इसके बाद हम आगे बढ़े ।प्रागंण में निर्माण कार्य चल रहा था।अभी राम मंदिर के अलावा सात मंदिर और बन रहे हैं जो अभी भक्तों के लिए खुले नहीं है।हम अब राम मंदिर के भव्य भवन में प्रवेश कर चुके थे।शिल्प कला अनूठी है। संपूर्ण मंदिर अत्यंत भव्य है। स्थापत्य कला भी अद्भुत है।कतार में चलते हुए हम गर्भगृह के समक्ष जा पहुंचे थे और हमारे सामने थे रामलला...उफ़ यह पल अनिर्वचनीय था।ऐसा लग रहा था कि मूर्ति मुस्कुरा रही है, नयनों से अश्रुपात होने लगा। सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे रामलला आ गए थे।लग रहा था कि यह पल यहीं थम जाए क्योंकि रामलला के सुंदर अद्वितीय अनुपम रूप से नयन हटाने का मन नहीं कर रहा था।यह रामलला की फोटो मैंने नहीं ली है पर उनकी भव्यता और दिव्यता के दर्शन आप भी करें, इसलिए यहां प्रस्तुत कर रहीं हूं।



रामलला

रामजन्म भूमि परिक्रमा मार्ग पर बनने वाले मंदिर, वहां बनी गिलहरी की मूर्ति भी अत्यंत सुंदर है।अब हम वहां से सरयू घाट के लिए निकल पड़े थे। वहां पर कार्ट चल रहीं थीं और ई रिक्शा व आटो की भी कमी नहीं थी। यहां भी नवीनीकरण का कार्य चल रहा था।सरयू की कल-कल धारा निर्बाध गति से बह रही थी। बहुत सुंदर है सरयू घाट...

सरयू घाट 

सरयू घाट 


सरयू पर आरती का दृश्य

सरयू नदी के तट पर भक्त बैठे हुए थे। यहां पर लेजर शो होने वाला था।लेजर शो के द्वारा रामकथा का चित्रण किया गया जो अद्भुत और अकल्पनीय था।इसके बाद सरयू मां की आरती प्रारंभ हुई। यहां के वातावरण में आध्यात्मिकता और आस्था का अनूठा संगम देखने को मिल रहा था।मन में सिर्फ राम थे और राम के अलावा कुछ नहीं,भला अयोध्या जैसी पावन नगरी में और किसी का क्या काम, यहां राम हैं और हमेशा रहेंगे।राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या इतनी सुन्दर बन गई है कि वहां लोग इस बदलाव से बहुत प्रसन्न थे। सड़कें चौड़ी और साफ-सुथरी थीं। रामजन्म भूमि पर मंदिर बनने से भक्तों के आगमन से यहां पर व्यवसाय भी बढ़ा है।


सुंदरता सदैव आकर्षित करती है और स्वच्छता उसमें चार चांद लगा देती है।हम लोग स्वच्छता का महत्व भूल गए हैं।अपना घर साफ करके कचरा यहां-वहां फेंक कर हम अपना कर्तव्य निभा लेते हैं। हमें सोचना होगा कि यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।यह हमारा देश है।इसके जैसी सुंदरता और इसके जैसी विरासत पूरे विश्व में कहीं नहीं है पर हम इसे सहेज नहीं पा रहे हैं। हमें दूसरे देश सुंदर लगते हैं लेकिन हम ये नहीं सोचते कि वहां ये सुंदरता अर्जित की गई है लेकिन हमने अपने देश की नैसर्गिक सुंदरता को बिगाड़ने की कसम खा रखी है फिर हम सरकार को दोषी ठहराते हैं। सरकार गली-मोहल्लों में सफाई करती नहीं घूमेगी,यह हमारा दायित्व है।हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूल गए हैं।खैर वहां हमें ऐसे कई लोग मिले जो अयोध्या पहले भी आए थे ,वे बता रहे थे पुरानी और नई अयोध्या का अंतर।टैक्सी वाले भैया जो हमें एयरपोर्ट छोड़ने आए थे,बता रहे थे कि जबसे सड़कें अच्छी बनी है,हम बाहर भी सवारी ले जा पा रहें हैं,पहले जो ट्रिप छह दिन में होती थी ,हम आज तीन दिन में कर लेते हैं और गाड़ी के रखरखाव पर भी खर्च कम आता है।

आरती समाप्त हो गई थी, वहां से हम अब लता मंगेशकर चौंक की ओर पैदल ही चल पड़े थे।कोई एक किलोमीटर की दूरी रही होगी।


क्रमशः 

अभिलाषा चौहान 



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