जलता है अंगार प्रिये
हाहाकार मचा उर अंतर
जलता है अंगार प्रिये
लावा बहता पीड़ा बनकर
एक तड़प साकार किए।
जग-अंबुधि की अश्रु तरंगें
अस्थिर होकर नृत्य करें
छूने को तट व्याकुल होती
हरसंभव वह कृत्य करें
सुप्त वेदना झंकृत होती
भावों का अवतार लिए
लावा बहता पीड़ा बनकर
एक तड़प साकार किए
हाहाकार ----------------।।
आकुल प्राण पथिक प्यासा सा,
करुणा घट को ढूँढ रहा
मृत संवेदन हीन हृदय में
चेतनता को फूँक रहा
आस जगाता मानवता हित
मन में इक विश्वास लिए।
लावा बहता पीड़ा बनकर
एक तड़प साकार किए
हाहाकार----------------।।
दूर क्षितिज पर दृश्य अनोखा
नवजीवन का भाव लिए
जग के अश्रु देख व्यथित हो
जागे कवि के भाव प्रिये
हृदय पीर से शब्द पिघलते
वर्ण वर्ण आकार लिए।
लावा बहता पीड़ा बनकर
एक तड़प साकार किए।
हाहाकार ----------------।।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक।
जलता है अंगार प्रिये
लावा बहता पीड़ा बनकर
एक तड़प साकार किए।
जग-अंबुधि की अश्रु तरंगें
अस्थिर होकर नृत्य करें
छूने को तट व्याकुल होती
हरसंभव वह कृत्य करें
सुप्त वेदना झंकृत होती
भावों का अवतार लिए
लावा बहता पीड़ा बनकर
एक तड़प साकार किए
हाहाकार ----------------।।
आकुल प्राण पथिक प्यासा सा,
करुणा घट को ढूँढ रहा
मृत संवेदन हीन हृदय में
चेतनता को फूँक रहा
आस जगाता मानवता हित
मन में इक विश्वास लिए।
लावा बहता पीड़ा बनकर
एक तड़प साकार किए
हाहाकार----------------।।
दूर क्षितिज पर दृश्य अनोखा
नवजीवन का भाव लिए
जग के अश्रु देख व्यथित हो
जागे कवि के भाव प्रिये
हृदय पीर से शब्द पिघलते
वर्ण वर्ण आकार लिए।
लावा बहता पीड़ा बनकर
एक तड़प साकार किए।
हाहाकार ----------------।।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक।
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 02 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सहृदय आभार आदरणीय 🙏🌹 सादर
हटाएंबेहतरीन नवगीत दी
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार बहना 🌹🌹
हटाएंसहृदय आभार आदरणीय 🙏🌹
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-06-2020) को "ज़िन्दगी के पॉज बटन को प्ले में बदल दिया" (चर्चा अंक-3721) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय 🙏🌹 सादर
हटाएंअप्रतिम।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीया दीदी 🙏🌹
हटाएंवाह !क्या बात है दी लाजवाब.
जवाब देंहटाएंसुंदर नवगीत सखी
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी 🌹🌹 सादर
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