गतांक से आगे
आज हमें अयोध्या के लिए निकलना था।सुबह हम जल्दी उठ गए थे।वापस जाने का बिल्कुल मन नहीं था।जितनी खुशी आने की थी,उतना ही दुख जाने का हो रहा था।गंगा की लहरों में,बाबा विश्वनाथ की काशी में मन खो गया था लेकिन आना सत्य है तो जाना भी।हम दश्वाश्वमेध घाट पर गए।मां गंगा को नमन किया,सर्व मंगल की कामना की और उन्हें दीप और पुष्प अर्पित किए।साढ़े नौ बजे वंदे भारत से अयोध्या जाना था।साढ़े आठ बजे होटल के अटेंडेंट ने हमें नंदी चौक पर आटो में बैठा दिया और हम निकल पड़े अपनी अगली यात्रा पर ।बाबा विश्वनाथ से विदा लेकर हम राम जन्मभूमि तीर्थ की ओर रामलला के दर्शन की प्रतीक्षा मन को आह्लादित कर रही थी।करीब साढ़े बारह बजे हम अयोध्या धाम जंक्शन पर उतरे....और फिर जो दृश्य सामने था ,उससे हमें समझ आया कि विकास की बातें सिर्फ बातें नहीं है। एयरपोर्ट जैसा बड़ा सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त भव्य रेलवे स्टेशन,ऐसा रेलवे स्टेशन ना तो दिल्ली का है और ना मुंबई का ,ना बेंगलुरु का और ना ही जयपुर का।
अयोध्या धाम जंक्शन
स्टेशन से हमारा होटल तीन किलोमीटर दूर था।हवा में रामभक्ति की लहर विद्यमान थी। होटेल रामजन्म भूमि परिक्रमा मार्ग में स्थित होने से अंदर वाहन नहीं जा सकते थे इसलिए हम पैदल ही होटल पहुंचे।होटल अटेंडेंट हमें बाहर ही लेने आ गया था। मंदिर और हवेलियां बस यही देखते हम होटल पहुंचे।होटल भी बहुत सुंदर, स्वच्छ और बड़ा था,नाम भी "वेंकटेश निलयम"।थोड़ी देर विश्राम कर हम निकल पड़े थे दर्शन के लिए।बाहर निकलते ही सामने सीता-राम का सुंदर मंदिर था। वहां दर्शन करके हम निकल पड़े हनुमान गढ़ी के दर्शन करने जो दो सौ मीटर पर ही था।भीड़ ज्यादा नहीं थी। हनुमान जी का सुंदर मंदिर,अत्यंत भव्य एवं दिव्य। स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना और हनुमान की दिव्य प्रतिमा.... दर्शन करके जीवन धन्य हो गया।


दर्शन के बाद हम बहुत देर मंदिर में बैठे रहे।मन ही नहीं कर रहा था कि यहां से उठें लेकिन और भी मंदिरों के दर्शन करने थे।अब वहीं से करीब सौ कदम की दूरी पर राजा दशरथ का महल और कनक भवन था।कनक भवन में माता सीता और प्रभु श्रीराम रहते थे। यहां उनकी बहुत ही सुन्दर प्रतिमा है। स्वर्णिम आभा से युक्त है यह महल इसलिए कनक भवन नाम है। यहां पर एक तुलसी का पौधा है जिसे जाली के अंदर बंद कर ताला लगाकर रखा गया है जिससे कोई उसे नुकसान ना पहुंचा सके।कहते हैं कि यह जाने कबसे यहां है।
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कनक भवन
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कनक भवन अपनी ऐतिहासिक महत्व और पौराणिक मान्यताओं के कारण जाना जाता है। यहां सीता-राम की ही मूर्ति है और किसी की नहीं क्योंकि कहते हैं जब प्रभु श्री रामचन्द्र ने अयोध्या का राज-काज संभाला था तब वे माता सीता के साथ यहीं रहे थे।इसके बाद हम निकल पड़े दशरथ महल की ओर जो पचास कदम पर ही था।राजा दशरथ यहीं रहते थे और उनके चारों कुमार यहीं पले-बढ़े और खेले-कूदे....यह वहां उपस्थित पुजारी ने बताया जो कि इस महल में बने राजा दशरथ और उनके पूरे परिवार की जो कि अब उस महल में प्रतिमाओं के रूप में स्थापित है ,उनकी सेवा करता है।कनक भवन और दशरथ महल यहां पहुंच कर विश्वास ही नहीं होता कि हम वास्तव में उस काल खंड में खड़े हैं जहां कभी दशरथ जी और उनका पूरा परिवार हुआ करता था और यह भव्य भवन और महल आज हम देख पा रहें हैं,विश्वास और आस्था का संगम यह सोचने पर विवश करता है कि रामलला के मंदिर को तोड़कर किसे क्षति पहुंचाने की कोशिश की गई...?रामलला को ,जी नहीं यह हमारी आस्था और सनातन संस्कृति की मिटाने का कुत्सित प्रयास था जो विदेशी आक्रांताओं ने किया,वे हमेशा हमारी जड़ें काटने की कोशिश करते रहे पर धन्य है सनातन की आस्था और धन्य है वो लोग जो इस आस्था को जीवंत रखने की पुरजोर कोशिश करते रहें हैं। हमारे इतिहास को मिटाने की कोशिश में वे बार-बार मिटे और हर बार मिटेंगे क्योंकि सनातन का उद्घोष अब हिंदू जनमानस को जाग्रत कर चुका है।
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| राजा दशरथ महल |
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| राजा दशरथ महल |
अयोध्या अब विश्व विख्यात हो चुकी है।आज जन मानस में अयोध्या का सौंदर्य रच-बस गया है।रेल,बस और इंटरनेशनल एयर पोर्ट ने कनेक्टिविटी को बढ़ाया है।बढ़िया रोड़ और हाइवे के निर्माण ने लोगों के मार्ग को सुगम बनाया है। अयोध्या के विषय में जो लोगों ने बताया,उससे यही निष्कर्ष निकला कि बिना अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास नहीं हो सकता तो हमारी मौजूदा सरकार यही कर रही हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास आपस में किस तरह जुड़े हैं,यह आप अयोध्या जाकर , वहां के लोगों से बात करके समझ सकते हैं।
क्रमशः
अभिलाषा चौहान
जय श्री राम 🙏🚩
जवाब देंहटाएंसुंदर
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