कुछ खरी-खरी...!!






जीवन अपराधों में जकड़ा,

हत्या बलात्कार सुन लूट।

शासन के ढीले पंजों से,

अपराधी क्यूँ जाता छूट।।


न्याय बिके बाजारों में जब,

पीड़ित घिसता जूते रोज।

अंधा है कानून यहाँ पर,

खोता जाता उसका ओज।।


भ्रष्टों की है मौज यहां पर,

सच्चों को ठुकराते लोग।

आदर्शों की चिता जलाकर,

खाते रहते छप्पन भोग ।।


सड़कों पर गड्ढे कितने हैं,

गड्ढों में ही जीते लोग।

रोजी रोटी की चिंता में 

पाले जाते कितने रोग।।


झूठ बिके महँगे दामों में ,

सच बेचारा बना कबाड़।

सच की राह चलें जो राही,

उनके केवल बचते हाड़।।


वैमनस्य की आग जलाकर,

कैसे तापें अपने हाथ।

कूट रहे हैं चांदी वो ही,

जो देते हैं इनका साथ ।।


देश छूटता पीछे इनसे,

कुर्सी तक है इनकी दौड़।

छलछंदों के चक्रव्यूह का,

नहीं सूझता कोई तोड़।।


आम खास बनते ही देखो,

भूले अपनी वो बुनियाद ।

स्वार्थ- शक्ति ,सत्ता में डूबा,

उसको किसकी रहती याद ।।


जंजालों में उलझा जीवन,

चिंता बैरी दुख भरपूर।

महंगाई है नाच नचाती,

आम आदमी है मजबूर।।


शिक्षा महंगी नहीं काम की,

बेरोजगार हैं भरमार ।

सपने मिट्टी मिलते जिनके,

जीवन से वह माने हार।।


लीपापोती करने वाले ,

नहीं मानते अपनी खोट।

जीवन जीना होता मुश्किल ,

जाने कितनी मिलती चोट।।


समय भागता अपनी गति से,

आयु घटती खोता ओज।

आग पेट की रोज जलाती,

कैसे करता कोई मौज।।


मौज उन्हीं की सत्ता में जो,

धन-दौलत है जिनके पास।

आम आदमी से कब पूँछें ,

रोज टूटती जिसकी आस।।


योग्य पढ़े बूढ़ा हो जाए,

झोली उसकी खाली देख।

घोटालों में फंसी योग्यता,

कैसे लिखें भाग्य का लेख।।


गीता की कसमें झूठी लें,

रामायण के राम अलोप।

संविधान को धता बताते,

आरक्षण बन जाता तोप।।


गीता बाइबल और कुरान ,

किसको इनका ज्ञान यहां ।

लाठी जिसके हाथ में आई

उसके जैसा कोई कहां।।


सत्य-झूठ में उलझा जीवन,

देख रहा है अपना अंत।

तन के उजले मन के काले,

लूट रहे बनते जो संत।।



अभिलाषा चौहान 






टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 12 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. सहृदय आभार आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं
  4. बहुत बहुत सुन्दर समाज को दर्पण दिखाने जैसी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं

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