कुंदलता सवैया छंद
"कुंदलता सवैया"
कुंदलता वार्णिक सवैया छंद है।इस छंद की रचना आठ सगण और दो लघु वर्ण से होती है। इसमें कुल छब्बीस वर्ण होते हैं।इसके चार चरण होते हैं और प्रत्येक चरण में बारह वर्णों के बाद यति होती है।
1 जीवन सत्य
दिन जीवन के अब बीत चले,मन में हरि का बस नाम जपे हम।
चित चंचल है उर भी भटके,अब ध्यान धरें बस मोह करें कम।क्षण-भंगुर जीवन में हमने,कुछ भी न किया मद चूर बढ़ा तम।
सच झूठ कभी कब भेद किया, सुख में अटके दुख में भरते दम।
2 जीवन लक्ष्य
चल रे मन तू हरि को सुमिरै,इस जीवन का बस लक्ष्य यही रख।
वह पालक भी वह तारक भी,बस जीवन में रस देख यही चख।
सब नश्वर है बस सत्य वही,नित वंदन पूजन मूरत को लख।
मनमीत बना उर में रख ले,यह भाव बना तब वे बनते सख।
3.प्रभू भक्ति
जग में अति सुन्दर नाम सदा, घनश्याम कहो रघुनंदन राघव।
तन श्यामल हैं जिनके नयना, कमलों सम वे जग के हित बांधव।
जग पालक तारक हारक वे, समझो अपना जग में तुम लाघव।
उर ध्यान धरो मन नाम जपो, परमार्थ करो बनके तुम साधव।
अभिलाषा चौहान
बहुत सुन्दर छंद रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सादर
हटाएंबहुत सुन्दर छंद रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सादर
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 13 जून 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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सहृदय आभार आदरणीय सादर
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर
हटाएंबहुत सुन्दर, बधाई।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर ❤️
हटाएंसुन्दर कृति सृजन
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सादर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर
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