मेरे मोहन

मेरे मोहन माधव मतवाले तेरे कुंतल काले घुंघराले इस सृष्टि का आधार हो तुम करूणा जल की रसधार हो तुम मैंने सौंप दिया सब है तुमको ये तुम जानो या मैं जानूं.... तेरे रूप की श्यामल देख घटा मेरे मन का अंधकार छटा तेरा प्रेम बरसता जीवन में तू ही तू है बस अब मन में मैंने सौंप दिया है सब तुमको ये तुम जानो या मैं जानूं.... ये नैना कजरारे न्यारे हम तो अपना ही दिल हारे अब तुम श्रृंगार हो जीवन का सुध भूल चुके हैं इस तन का मैंने सौंप दिया है सब तुमको ये तुम जानो या मैं जानूं..... हम देख नहीं थकते तुम को तुम भूल गए हो क्या हम को कब आओगे मोहन प्यारे पथ देख-देख कर हैं हारे मैंने सौंप दिया है सब तुमको ये तुम जानो या मैं जानूं..... ये जीवन व्यर्थ हुआ तुम बिन पल घड़ियां बीती दिन गिन गिन पद पंकज की धूल हैं हम नित करते कितनी भूल हैं हम मैंने सौंप दिया है सब तुमको ये तुम जानो या मैं जानूं..... अभिलाषा चौहान