मुक्तक





मुक्तक विधान 

मुक्तक में सामान्यतःचार पंक्तियाँ होती है।चारों पंक्तियों में मात्रा भार समान होता है।मुक्तक में लय और सुविधानुसार मात्रा निर्धारित की जा सकती है।इसकी चारों पंक्तियां अपने आप में भाव को अभिव्यक्त करने में सक्षम होती हैं। अर्थात मुक्तक चार पंक्तियों में भाव को अभिव्यक्त करने में सक्षम।

इसके लक्षण निम्न प्रकार के हैं -

१)मुक्तक पूर्वापर संबंध से मुक्त होते हैं।अर्थात यदि मुक्तक काव्य के रुप में प्रयुक्त हो रहा है तो उसका प्रत्येक छंद अपने आप में पूर्ण और स्वतंत्र होगा।

२) मुक्तक में प्रथम,द्वितीय और चतुर्थ पंक्ति तुकांत और तीसरी पंक्ति अतुकांत होती है।

३) गेयता और लयात्मकता मुक्तक का गुण है। इसलिए वर्ण या मात्रा का ध्यान रखा जाता है।

४) मुक्तक चार पंक्तियों की ऐसी

कविता रचना है।जो नियमबद्ध व लयबद्ध तरीके से किसी घटना या भाव को स्वतंत्र व सम्पूर्ण रूप से प्रकट करनें में सक्षम हो।

यहां मैंने १६ मात्रा के मुक्तक लिखे हैं।इनका मात्रा भार कथन के हिसाब से बदल सकता है।ये २४,२८ मात्राओं वाले भी हो सकते हैं। मात्राएं समान होने से लय भंग नहीं होती।

उदाहरण -


कैसे-कैसे ये दिन बीते,

कुछ कड़वे से कुछ मनचीते।

जीवन फिर भी चलता रहता,

हाथ भरे हो या फिर रीते।

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अपने अपने सुख में खोए,

दुख पाकर जी भर के रोए।

चंचल चित करता मनमानी,

झूठे सपने हमने ढोए।

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जीवन जैसे एक छलावा,

करते देखो लोग दिखावा।

संकट सत्य सदा दिखलाए,

स्वार्थ कराता खून खराबा।

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जग की रीति सदा जग जाने,

कर्म वीर कब जग की माने।

लक्ष्य असंभव लेकर चलते,

प्रण पूरे करते जो ठाने।

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सत्ता कैसे खेल दिखाए,

झूठे वादे रोज लुटाए।

जीत हुई तो झाड़े पल्ला,

पांच साल ये रोज रुलाए।

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युवा कभी जो पथ से भटका,

रहे कपोत कल्पना अटका।

बोझ बना वह डोले जग में, 

बिगड़े भविष्य खाए झटका।

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अभिलाषा चौहान




टिप्पणियाँ

  1. सहृदय आभार आदरणीय सादर 🙏

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  2. अच्छे मुक्तक हैं, बधाई।
    तीसरे की तीसरी और अंतिम मुक्तक की अंतिम पंक्ति में मुझे कुछ मात्राओं का असंतुलन लगा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय सादर मात्रा गणना पर ध्यान नहीं दिया,आपने मुझे अवगत कराया इसके लिए आपको धन्यवाद सादर

      हटाएं
  3. अति सुन्दर लयात्मक व गेयात्मक मुक्तक छंद।🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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