बना मंदिर सुहाना है
बदलते भाग्य भारत के
बना मंदिर सुहाना है
स्वप्न जो था कभी मुश्किल
हुआ अब वो पुराना है।
उमड़ते हर्ष के बादल
झड़ी आँसू की लगती है
पधारे राम फिर कोशल
दीवाली देख मनती है
सभी भूले हैं सुध-बुध आज
अवध को जो सजाना है।
स्वप्न जो था कभी मुश्किल
हुआ अब वो-----------।
उछलती सरयू देखो आज
चरण उनके पखारेगी
छँटेंगे सारे अँधियारे
कृपा प्रभु की निखारेगी
हुआ वनवास अब पूरा
जगत को ये दिखाना है
स्वप्न जो था कभी मुश्किल
हुआ अब वो-----------।
प्रतीक्षा आज शबरी की
हुई है पूर्ण जग जाने
अहिल्यायें हुईं जीवित
रज पग राम की पाने
बने श्री राम ही आदर्श
उन्हें अपना बनाना है
स्वप्न था जो कभी मुश्किल
हुआ अब वो------------।
अभिलाषा चौहान
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 21 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीया सादर
हटाएंराममय हुई धरती सारी
जवाब देंहटाएंमहा उत्सव की करो तैयारी बहुत खूब अभिलाषा जी....
जय श्री राम
हटाएंआभार आपका सादर
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय सादर 🙏
हटाएंअभिनव
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सादर 🙏🙏
हटाएंबहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सादर
हटाएंवाह! सखी ,बहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी सादर
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब👌👌
सहृदय आभार सखी सादर
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