सूर घनाक्षरी छंद





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सूर घनाक्षरी


घनाक्षरी छन्द की ही तरह यह भी चार चरणों में लिखा जाने वाला सम तुकांत छन्द है।इसके प्रत्येक चरण में कुल 30 वर्ण होते हैं।


 8,8,8,6 पर यति अनिवार्य है।पदांत में 122( यगण) या 212 ( रगण ) रखा जा सकता है।


लय, प्रवाह, भाव और गेयता पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए।


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भज मन राम राम,राम ही परम धाम।

राम से लगा ले मन,सोचे क्यों बावरे।

कर मत ऐसे काम,रख मन राम नाम।

पार वो लगाएँ नाव,छोड़ दे ताव रे।।

प्रीत प्रेम सुख धाम,रस मय रूप श्याम।

देख छवि अभिराम जागते भाव रे।

राग उर गूँज रहे,भक्त सब झूम रहे।

प्रिय से लगन लगी,मन में चाव रे।

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राम राम जाप करें, ध्यान बस राम रहें।

छोड़ सब मोह माया,स्वयं को सुधारें।

राम एक सत्य नाम,बाकी सब झूठे काम।

सत्य को पहचान लें,जीवन उतारें।

मोह लोभ क्रोध काम,नरक के चारों धाम।

मद में जो डूब रहे,दूर हों किनारे।

दीन दुखी सेवा कर,पर जन पीड़ा हर।

प्रेम दया भाव मन,राम ही सहारे।


अभिलाषा चौहान

जयपुर

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