तो असली दीवाली
दिल के दीप जलें जब सबके
तो आए खुशहाली
सुप्त भाव जब जगमग हों
तो असली दीवाली
दीपों से रोशन घर आंगन
मन में घिरा अंधेरा
अपनी-अपनी लक्ष्मण रेखा
हो बस तेरा-मेरा
दृष्टि बाधित गूंगे-बहरे
हाथों लिए कुदाली
दिल जलते पर पीर न प्यारी
शूल चुभा खुश होवें
अपने घर को रोशन कर लें
चैन इसी में खोवें
बदली-बदली समय की धारा
बढ़ती बस बदहाली
गली-मोहल्ले और चौबारे
रोशन हो जब फिर से
दीन दुखी की समझें पीड़ा
दिल मिल जाएं दिल से
दीप से दीप जलें घर-घर में
दीवाली हो निराली ।
अभिलाषा चौहान
सहृदय आभार आदरणीय सादर आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ❤️
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपको भी सपरिवार शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआज सभी प्रण करते हैं कि, मन के अंधेरे को भी मिटाया जाये।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा संदेश,,, दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव युक्त रचना अभिलाषा जी। सब सुखी हो तो अपना सुख कई गुना बढ़ जाता है! यही असली दीवाली है. दीपोत्सव की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ स्वीकार करे!🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव युक्त रचना अभिलाषा जी। सब सुखी हो तो अपना सुख कई गुना बढ़ जाता है! यही असली दीवाली है. दीपोत्सव की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ स्वीकार करे!🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएं