सवैया छंद (भक्ति परक सवैया)
"चकोर सवैया"
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चकोर सवैया तेईस वर्णों का छंद है इसमें सात भगण और अंत में गुरू-लघु दो वर्ण होते हैं।इसकी मापनी इस प्रकार है -
भानस,भानस,भानस,भानस,
211 ,211,211,211
भानस, भानस,भानस गुरू-लघु
211,211,211,21
मेरे द्वारा रचित कुछ सवैये जो मानव मन की कमजोरियों को अभिव्यक्त कर रहें हैं।
1.
कृष्ण भजो सब राम भजो अब भूल सुधार करो मद त्याग।
काल कराल समीप खड़ा तम घोर घिरा मनवा अब जाग।
लोभ मिटे सब क्षोभ मिटे मन में छलके नित केवल राग।
श्याम सखा उर आन बसे उनसे कर प्रीति जगे तब भाग।
2.
चंचल ये मन मान सखी वश में किसके कुछ मांगत खास।
मांग बढ़े नित ही इसकी बढ़ती अपने उर की नित आस।
भृंग बना यह डोलत है हम तो इसके बनते बस दास।
कंचन सा तन ये मन शापित ईश बिना कब होत उजास।
3.
मोहन माधव कृष्ण बिना इस जीवन का समझो मत मोल।
सोच-विचार नहीं कुछ भी नित जीवन में लड़ते विष घोल।
कर्म बुरे करके खुश हैं बस बोल रहे कड़वे नित बोल।
भक्ति नहीं मन में जिनके हरि का करते तखरी पर तोल।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 05 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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सहृदय आभार आदरणीय सादर
हटाएंचकोर सवैये में रची भक्ति भाव से पूर्ण सुंदर बोध देती रचना के लिए बधाई अभिलाषा जी!
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है।सादर
हटाएंअप्रतिम सवैये हैं ये तो। हार्दिक अभिनंदन।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत और आशीर्वाद तुल्य है।सादर
हटाएंसुंदर भक्तिभाव से सजे सवैये ..सखी ..बहुत खूबसूरत!
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है।
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय सादर
हटाएंबहुत सुंदर शिल्पबद्ध भावपूर्ण सवैया सखी हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर
हटाएंहृदयस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर
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