सवैया छंद (भक्ति परक सवैया)

          




"चकोर सवैया"

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चकोर सवैया तेईस वर्णों का छंद है इसमें सात भगण और अंत में गुरू-लघु दो वर्ण होते हैं।इसकी मापनी इस प्रकार है -


भानस,भानस,भानस,भानस,

211 ,211,211,211

भानस, भानस,भानस गुरू-लघु 

211,211,211,21


मेरे द्वारा रचित कुछ सवैये जो मानव मन की कमजोरियों को अभिव्यक्त कर रहें हैं।


1.

कृष्ण भजो सब राम भजो अब भूल सुधार करो मद त्याग।

काल कराल समीप खड़ा तम घोर घिरा मनवा अब जाग।

लोभ मिटे सब क्षोभ मिटे मन में छलके नित केवल राग।

श्याम सखा उर आन बसे उनसे कर प्रीति जगे तब भाग।

2.

चंचल ये मन मान सखी वश में किसके कुछ मांगत खास।

मांग बढ़े नित ही इसकी बढ़ती अपने उर की नित आस।

भृंग बना यह डोलत है हम तो इसके बनते बस दास।

कंचन सा तन ये मन शापित ईश बिना कब होत उजास।

3.

मोहन‌ माधव कृष्ण बिना इस जीवन का समझो मत मोल।

सोच-विचार नहीं कुछ भी नित जीवन में लड़ते विष घोल।

कर्म बुरे करके खुश हैं बस बोल रहे कड़वे नित बोल।

भक्ति नहीं मन में जिनके हरि का करते तखरी पर तोल।


अभिलाषा चौहान

स्वरचित 

टिप्पणियाँ

  1. चकोर सवैये में रची भक्ति भाव से पूर्ण सुंदर बोध देती रचना के लिए बधाई अभिलाषा जी!

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    1. सहृदय आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है।सादर

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  2. अप्रतिम सवैये हैं ये तो। हार्दिक अभिनंदन।

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    1. सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत और आशीर्वाद तुल्य है।सादर

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  3. सुंदर भक्तिभाव से सजे सवैये ..सखी ..बहुत खूबसूरत!

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    1. सहृदय आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है।

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  4. बहुत सुंदर शिल्पबद्ध भावपूर्ण सवैया सखी हार्दिक बधाई।

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    1. सहृदय आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

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  5. उत्तर
    1. सहृदय आभार आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

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