कभी-कभी





कभी-कभी

लगता है ऐसा कि 

हम खो रहें हैं या डूब रहें हैं

हमारी उदासीनता

बना देती है हमें निष्क्रिय

हम होते हुए भी नहीं होते 

हमारे शब्द अंदर ही घुटते

मचलते हैं बाहर आने को

पर एक सोच...?

जो हावी हो रही है सब पर

कौन सुनेगा...?

हमारी बेसिर -पैर की

बेतुकी बातें..?

सब डूबें हैं अपने ख्यालों में

जुड़ने की प्रक्रिया...?

अब ले चुकी है विराम

सोशल मीडिया की चमक

में बनने सितारा

लगा रहें हम अंधी दौड़

भूलकर कि हमने

क्यों उठाई थी कलम..?

कलम-कागज भी कहां हैं

अब तो नया जमाना है

वही बिकता है

जो चमकता है...!!

हम जैसे चमकहीन

पुरातनपंथी..?

इस दौड़ में हार चुके हैं

हमारे जज़्बात...?

किसी को रास नहीं आते

सीख लिया है हमने

हारना...!!

हार जो आसानी से

हो जाती है नसीब

छोड़ दिए हैं प्रयास

क्या करना है हमें...?

चमक नहीं सकते तो

छुपे रहना ही ठीक है

आज श्रेष्ठता का मापदंड

लाइक्स और फाॅलोअर्स हैं

फर्क नहीं पड़ता कि

आप क्या कर रहें हैं..?

इस अंधी दौड़ में 

भुलाकर सभी मायने

हमने बस पहने हैं

मुखौटे...!!

हम नहीं चाहते कि

कोई देखे हमारे अंदर की

आग...?

हमारी चिंता...?

हमारी परेशानी...?

सफलता का ढोंग

करते हैं हम

सोचते हैं कभी-कभी

कितने सफल हैं हम...??


अभिलाषा चौहान

मन की बात 



टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 15 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय नमस्ते !
    सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार आतिश जी, आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं
  3. हमने बस पहने हैं

    मुखौटे...!!

    हम नहीं चाहते कि

    कोई देखे हमारे अंदर की

    आग...?

    हमारी चिंता...?

    हमारी परेशानी...?

    सफलता का ढोंग

    करते हैं हम

    सोचते हैं कभी-कभी

    कितने सफल हैं हम...??

    बहुत सुंदर बात कही है आपने। इस निर्बाध दौड़ में बस हम दौड़ते चले जा रहे हैं। एक मरीचिका है बस। सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार विकास जी,आपको ब्लॉग पर देखकर हर्षित हूं।आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं
  6. दिल की गहराई से निकले जज़्बात

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार सखी ,आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सवैया छंद प्रवाह

जिसे देख छाता उल्लास

सवैया छंद- कृष्ण प्रेम