जीत निश्चित है हमारी




लक्ष्य साधा है प्रिये तो,

अंत तक फिर साथ चलना।

हाल कैसा भी रहे पर,

पथ से अपने मत विचलना।



नेह के धागे सुकोमल,रेशमी भावों के मोती।

ये समर्पण मांगते हैं,आस की जलती है ज्योति।

मन गह्वर में है मचलती, अनगिनत ये कामनाएं।

हो विषम पथ या विपत्ति,स्वयं को बस साथ पाएं।


दीप्त उर में लौ फुदकती ,

शलभ बन कर तुम किलकना।

हाल कैसा भी..........।


तन तो नश्वर है सभी का,जो कभी चिर ना रहेगा।

प्राण से होगा मिलन तो,अनंत तक ये संग चलेगा।

गंध को महसूस कर लो,पुष्प से किसका क्या लेना।

जो रमा कण-कण में है,उसको क्या पहचान देना।


आत्म चिंतन कर लिया तो,

हो सकेगा कोई छल ना।

हाल कैसा भी...........।


तारिकाएं चांद-सूरज ,हैं सदा ही मुस्कुराते।

कुंज कानन तृण लताएं,हैं हठी, तूफान आते।

सृष्टि का बस ये नियम है,हार कर मत बैठ जाना।

हो भंवर में नाव लेकिन, हौंसले से पार पाना।


जीत निश्चित ही हमारी

भूल जाओ बस फिसलना।

हाल कैसा भी.......….।


अभिलाषा चौहान 

टिप्पणियाँ

  1. अत्यंत प्रेरणादायक रचना।
    विचलित मत होना लक्ष्य से
    सफलता पाँव चूमती है कैसे देखना तुम...।
    सादर।
    ----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना गुरुवार १२ अक्टूबर२०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार प्रिय सखी श्वेता जी आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं
  3. जीत निश्चित ही हमारी, भूल जाओ बस फिसलना। ठोस सत्य कह दिया है आपने। प्रेरणास्पद कविता रचने हेतु अभिनन्दन आपका।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय,आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत और आशीर्वाद तुल्य है।आप के शब्द सदैव मुझे कुछ सोचने और और आप जैसे विद्वजनों के समक्ष ऐसा कुछ प्रस्तुत करने को प्रेरित करते हैं जो आपकी कसौटी पर खरा उतर सके सादर अभिनन्दन आपका।

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणास्रोत है सादर

      हटाएं

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