कभी सोचा तो न था...???
दुशासन के पंजों में
सहमी बेसुध मर्यादा
सहस्त्र बाहु दुशासन
की अट्टहास ,भद्दी टिप्पणियों से
जलती उसकी रूह
पथराई आंखों में
खौफ का तांडव
ऐसा भी होगा कभी
सोचा तो न था...??
भक्षकों की अनियंत्रित भीड़ में
कोई रक्षक तो न था...??
चीरहरण को रोकने
कोई कृष्ण तो न था..??
असुरों की फौज में
असहाय कठपुतली सी
अपनी आंखों को भींचे
तन पर रेंगते असंख्य
सर्पों के दंश
ऐसे होगा उसका विध्वंस
कभी सोचा न था...??
सीता का हरण
द्रौपदी का चीरहरण
हर युग में होगा और
बार बार होगा
कभी सोचा तो न था...??
राम और कृष्ण का भय
अब किसी को कहां
रावण और दुशासन का
राज हर ओर होगा
कभी सोचा तो न था...??
सभ्यता के चरणों में
संस्कृति का मरण
ऐसे होगा
कभी सोचा तो न था..??
सभ्य समाज की
बढ़ती असभ्यता का
भुगतेंगी दंड बेटियां
कभी सोचा न था...??
अभिलाषा चौहान
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 25 जुलाई 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय सादर
हटाएंइब्तिदाए-सियासत रोता है क्या,
जवाब देंहटाएंआगे-आगे देखिए, होता है क्या.
सही बात आदरणीय सहृदय आभार सादर
हटाएंहृदयस्पर्शी सृजन सखी ।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी सादर
हटाएंगहरी संवेदना से निकली यथार्थपूर्ण रचना ।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सादर
हटाएंसच, कभी सोचा तो ना था ।मार्मिक और अथाह संवेदनाओं से भरी रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सादर
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