आज भी हैं...




मांडवी, उर्मिला,यशोधरा,सीता

हर घर में आज भी है!

परिणीता होकर परित्यकता सा

जीवन जीती आज भी हैं!

सप्तपदी के वचनों में बंधी

चलती पीछे-पीछे आज भी हैं!

पुरुष सत्तात्मक समाज में

विरहनी उपेक्षिता वंचिता आज भी हैं!

पूजे जाते हैं बुद्ध विश्व में

संग यशोधरा तो नहीं!!!

भरत लक्ष्मण के संग

मांडवी उर्मिला भी नहीं!!!

इनके त्याग का मूल्य

कौन जानता है???

बुद्ध लक्ष्मण भरत के पीछे

यही है कौन मानता है???

अग्नि परीक्षा सीता ही देगी

प्रथा राम राज्य से चली

जाने कितनी सीताएँ

इस परीक्षा में हर रोज जली

राम के राज्य में भी 

नहीं मिला सीता को न्याय!!!

सब कुछ था फिर भी 

रहीं सदा असहाय!!

मांडवी उर्मिला का मौन

किसने सुना ऐसा कौन??

अपनी व्यथा किसे सुनाती

चुपचाप आँसू बहाती

जाने कितनी यशोधरा

भीड़ में नित खो जाती

युग बदले नाम बदले

बोल बदले.….

पर इनके भाग्य कहाँ बदले!!

सशक्तिकरण का नारा

मात्र दिखावा है!

होता रहा उनके साथ

बस छलावा है!


अभिलाषा चौहान 






टिप्पणियाँ

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11-10-22} को "डाकिया डाक लाया"(चर्चा अंक-4578) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  2. सशक्तिकरण का नारा
    मात्र दिखावा है!
    होता रहा उनके साथ
    बस छलावा है!
    .. यथार्थ का सटीक चित्रण !

    जवाब देंहटाएं
  3. युग बदले नाम बदले

    बोल बदले.….

    पर इनके भाग्य कहाँ बदले!!

    सशक्तिकरण का नारा

    मात्र दिखावा है!

    होता रहा उनके साथ

    बस छलावा है!
    बहुत यतार्थ प्रस्तुति, अभिलाषा दी।

    जवाब देंहटाएं
  4. युग बदले नाम बदले

    बोल बदले.….

    पर इनके भाग्य कहाँ बदले!!

    सशक्तिकरण का नारा

    मात्र दिखावा है!
    एकदम सटीक...
    नारी सशक्तिकरण मात्र दिखावा है यशोधरा उर्मिला माण्डवी आदि आज भी हैं बदले नामों के साथ ।
    घर गृहस्थी मान सम्मान सभा समाज सबका उत्तरदायित्व बस स्त्रियों का ही तो है पुरुष तो हर हाल में महान ठहरा ।
    बहुत ही लाजवाब विचारोत्तेजक सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  5. संवेदनशील हृदयस्पर्शी सुंदर काव्य सृजन

    जवाब देंहटाएं

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