आज महोत्सव अवध मनाए



युगों-युगों की पूर्ण प्रतीक्षा

दूर हुआ जो दर्द सहा

घर-घर दीप जले खुशियों के

चंदन सौरभ पवन बहा।


मनमंदिर में बसा हुआ था

सपना एक अनोखा सा

रामलला कब अवध पधारें

आनंद आए चोखा सा

आशा की उजली किरणों से

घोर तमस का किला ढहा

घर-घर दीप जले खुशियों के

चंदन सौरभ पवन बहा।


सरयू के घाटों पर गूँजे

रामलला के जयकारे

द्वार-द्वार पर सजते तोरण

भक्त झूमते हैं सारे

आनंदित तन-मन है सारा

शब्दों से जो नहीं कहा

घर-घर दीप जले खुशियों के

चंदन सौरभ पवन बहा।


बर्षों की अब प्यास बुझेगी

दिवस सुखद ये आया है

तीन लोक के स्वामी ने अब

पद अपना फिर पाया है

आज महोत्सव अवध मनाए

दीवाली सा चमक रहा

घर-घर दीप जले खुशियों के

चंदन सौरभ पवन बहा।।


अभिलाषा चौहान 


टिप्पणियाँ

  1. प्रिय अभिलाषा जी।जन जन के हृदय में बसे रामलला की नगरी की शोभा और महिमा का गुणगान करती भावपूर्ण रचना के लिए बधाई आपको।श्री राम भारतभूमि का अनमोल संस्कार हैं।मर्यादाओं को स्वामी के अतुलनीय निवास पर जन-जन की आस्था है।इस नगरी को कोटि-कोटि प्रणाम ।आपको दीपोत्सव पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (22-10-2022) को   "आ रही दीपावली"   (चर्चा अंक-4588)   पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

    जवाब देंहटाएं
  3. रामलला अवध पधारे युगों - युगों की प्रतीक्षा पूर्ण हुई सभी को बधाई . दीपावली की शुभकामनाएं ....

    जवाब देंहटाएं
  4. आलोकमय गीत दीपावली को और मधुर करता हुआ। सुन्दर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  5. राम-भक्ति और उल्लास से भरी सुन्दर रचना !
    आप सबको दीपोत्सव की बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ !

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  6. सुन्दर रचना। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ l

    जवाब देंहटाएं

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