मदिरा सवैया(मोहन माधव नाम जपें)
मदिरा सवैया
दीन दयाल दया निधि हे,भव सागर का मद मारक है।
मोहन माधव नाम जपें,सुखधाम वही भव तारक है।
प्राण बसे जिनके उनमें,सब कष्टन के वह हारक है।
जीवन मंदिर सा बनता,हिय केशव का जब धारक है।
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चकोर सवैया
माधव मोहन की मुरली सुन,भूल गई सखियाँ सब काज।
केशव की छवि मोहक सी मन, डोल रही तन छूटत लाज।
भूल गई घर द्वार सभी बस,मोहन का मन मंदिर राज।
प्रीत करी जबसे उनसे बस,पीर बढ़ी बिखरे सब साज।
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माधव मोहन मोह रहे मन,देख सखी सिर शोभित मोर।
राज करे मुरली अधरों पर,चंचल हास्य लिए चितचोर।
पीत पटा तन पे अति शोभित, भानु दिखे नभ पे जस भोर।
नैनन से उनकी छवि देखत,चंद्र लगे हम देख चकोर।
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अभिलाषा चौहान
बहुत सुंदर रचना,जय श्री कृष्णा
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीया सादर
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अभिलाषा दी।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी सादर जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार अनुपमा जी
हटाएंअनुपम अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसुंदर सवैया छंद !
सहृदय आभार सखी सादर
हटाएंलाजवाब अभिव्यक्ति, आप को तो हर विधा में महारत हासिल है सखी, कान्हा आप पर और आप के परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखे,जय श्री कृष्ण 🙏
जवाब देंहटाएंआपकी स्नेहिल और प्रेरणादायक प्रतिक्रिया पाकर धन्य हुई सखी।यह आप सभी साथियों के साथ का प्रभाव है कि कुछ अच्छा लिखने की चाह जाग्रत होती है।सादर आभार
हटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!-उषा किरण
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार ऊषा जी सादर
हटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय अभिलाषा जी।आपने जिस तरह से अपने काव्य के हुनर को तराशा है काबिले तारीफ है।बहुत ही मनमोहक लगे सभी पद।बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं आपको 🙏🌺🌺🌹🌹
जवाब देंहटाएंआप ही मेरी प्रेरणास्रोत हैं सखी आपकी रचनाएं सदा पढ़ती रही आप जैसे सुधि साथियों के साथ के कारण ही कुछ नया करने की और सीखने की चाह जाग्रत होती है।आपका हृदय तल से आभार सादर
हटाएंVery nice
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