सत्य का होता दमन




नाग की फुफकार ऐसी

        जल उठा मेरा चमन

      घुल गया विष इस हवा में 

       कौन करता फिर शमन।।


देवता भी सिर धुने अब

धर्म ठिठका सा खड़ा

ये सृजन किसका किया है

व्यर्थ बातों पर अड़ा

दंश नित वह दे रहा है

सत्य का होता दमन

घुल गया.................।।


        ज्ञान के भी नेत्र फूटे

        पाप सिर चढ़ बोलता

       नीतियां सब ताक ऊपर

        कौन किसको तोलता

      स्वार्थ जिससे पूर्ण हो बस

         ये करें उसको नमन

         घुल गया..............।।


कोंपले मुरझा रहीं हैं

शाप किसका है लगा

चाल उल्टी चल रहें हैं 

दे रहे सबको दगा

व्याल के बंधन फँसी यह

मानवी करती रुदन

घुल गया.................।।


वर्तमान में देश में होने वाली कुछ घटनाओं को देखकर मन क्षुब्ध है। हमारा धर्म निरपेक्ष राष्ट्र आज ऐसी आग में झुलस रहा है जिसका कोई औचित्य मेरी समझ में नहीं आता।कुछ कट्टरपंथियों के कारण सांप्रदायिक सद्भाव संकट में पड़ गया है।धर्म और जाति मानव से ऊपर तो नहीं हो सकते। अभिव्यक्ति की आजादी पाकर वाणी की मर्यादा को ताक पर रख देना अशोभनीय है।ऐसा लगता है कि हमारे देश में और कोई समस्या ही बाकी नहीं है।कर्ता-धर्ता आँख पर पट्टी बाँध तमाशा देख रहे हैं।इसी से प्रेरित मेरी यह रचना।




अभिलाषा चौहान 


टिप्पणियाँ

  1. आपका यह उत्कृष्ट सृजन मानो मेरे ही भावों को प्रतिबिम्बित करता है अभिलाषा जी। हृदय से आभार एवं सादर वंदन।

    जवाब देंहटाएं
  2. सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया पाकर रचना सार्थक हुई।

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अभिलाषा जी, हमको तो यही सूचना मिल रही है कि हमारे देश में शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पी रहे हैं.
      आप भी देशभक्तों की तरह से गांधी जी के तीनों बंदरों के गुणों को एक साथ स्वयं में समाहित कीजिए फिर आप भी कह उठेंगी -
      सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा --

      हटाएं
    2. आपकी प्रेरणादायक व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए आपका सहृदय आभार आदरणीय बाघ-बकरी एक घाट पर पानी पिएं इसकी कल्पना तो अत्यंत दुष्कर है।राम राज तो आया नहीं इस रावण राज में हम भी बस सुन बोल सकते हैं।कुछ कर नहीं सकते।

      हटाएं
  4. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 28 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-8-22} को साथ नहीं है कुछ भी जाना" (चर्चा अंक 4535) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  6. ज्वलंत मुद्दे पर लिखी शानदार सामयिक प्रस्तुति। आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  7. ज्ञान के भी नेत्र फूटे

    पाप सिर चढ़ बोलता

    नीतियां सब ताक ऊपर

    कौन किसको तोलता

    स्वार्थ जिससे पूर्ण हो बस

    ये करें उसको नमन

    घुल गया..............।।
    समसामयिक हालातों पर बहुत ही सटीक एवं सारगर्भित नवगीत अद्भुत बिम्ब एवं व्यंजनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  8. शानदार सृजन आदरणीया 🙏

    जवाब देंहटाएं
  9. वर्तमान परिदृश्य में बहुत ही सटीक विवेचन।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जिसे देख छाता उल्लास

सवैया छंद प्रवाह

देखूं आठों याम