अनुभूतियाँ..

1. मैं पत्थर अनगढ़ नदी का प्रवाह बहा ले चला साथ खाता रहा थपेड़े पल-पल जूझता अनवरत बहती धारा देती रही रूपाकार समय के साथ निखर उठा मैं भी यही तो है जीवन। 2. नमी बहुत है जरूरी इसके बिना कहाँ कुछ संभव बरसते बादल अंकुरित फसलें बताती महत्ता नमी के बिना बंध्या भूमि हृदय की। 3. कटे पंखों के साथ फड़फड़ाता पंछी भरता आह देख अनंत आकाश को पंख है जरुरी लक्ष्य के लिए पंख मत कटने दो पंख हैं तो सब कुछ है। अभिलाषा चौहान