राम वनवास


सवैया छंद



राम चले वनवास सखी,नयना सबके नदियाँ बहती।

लोचन पंकज से दिखते,सुन बात सभी सखियाँ कहती।

लक्ष्मन संग सिया चलती,मुनि वेश धरे महलों रहती।

आज अनाथ हुए सब हैं,यह शूल चुभे बस हैं सहती।




अभिलाषा चौहान

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 13 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. 'पुर तें निकसीं रघुवीर बधू, --'
      और
      'रानी मैं जानी अजानी महा, पवि पाहन हू ते कठोर हियो है'
      की छाया वाला यह कवित्त बड़ा सुन्दर है.

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