राम वनवास
सवैया छंद
राम चले वनवास सखी,नयना सबके नदियाँ बहती।
लोचन पंकज से दिखते,सुन बात सभी सखियाँ कहती।
लक्ष्मन संग सिया चलती,मुनि वेश धरे महलों रहती।
आज अनाथ हुए सब हैं,यह शूल चुभे बस हैं सहती।
अभिलाषा चौहान
राम चले वनवास सखी,नयना सबके नदियाँ बहती।
लोचन पंकज से दिखते,सुन बात सभी सखियाँ कहती।
लक्ष्मन संग सिया चलती,मुनि वेश धरे महलों रहती।
आज अनाथ हुए सब हैं,यह शूल चुभे बस हैं सहती।
अभिलाषा चौहान
बहुत सुन्दर।🌻
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 13 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां सृजन
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं'पुर तें निकसीं रघुवीर बधू, --'
हटाएंऔर
'रानी मैं जानी अजानी महा, पवि पाहन हू ते कठोर हियो है'
की छाया वाला यह कवित्त बड़ा सुन्दर है.
वाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब।