सबसे होंगे जो न्यारे


भरूँ कुलाँचे हिरनी जैसी

तोड़ चलूँ बँधन सारे

अपना ही प्रतिमान बनूँ अब

तोड़ गगन के सब तारे।।


कोमल हूँ कमजोर नहीं जो

लिख न सकूँ इतिहास नया

पंख मिलें हैं उड़ने को जब

नहीं चाहिए कभी दया

ऊँचे पर्वत गहरी खाई

संकल्पों से सब हारे।


रात अँधेरी गहरी काली

रोक सके कब राहों को

चमक रही जुगनू सी आशा

फूल खिलें हैं चाहों के

लीक पीटते रहें यहाँ सब

समता के देते नारे।।


नदी बँध को तोड़ बहे ज्यूँ

पवन रुके न रोके से

कदमों को कब रोक सकेगा

कोई अब यूँ धोखे से

लक्ष्य चुनूँ नव राह गढूँ अब

सबसे जो होंगे न्यारे।।


अभिलाषा चौहान


टिप्पणियाँ

  1. बहुत ख़ूब !
    मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी
    कि आसां हो गईं

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    1. सहृदय आभार आदरणीय 🙏 सादर
      मन में साहस हो तो रास्ते खुद-ब-खुद निकल आते हैं।

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  2. उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीया 🙏 सादर
      आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया पाकर रचना सार्थक हुई।आपको महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌹

      हटाएं
  3. वाह!सखी ,बेहतरीन सृजन । महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँँ💐💐💐💐💐💐👌

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    1. सहृदय आभार सखी 🌹🙏 सादर महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐

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  4. बहुत खूब 💐💐महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।

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  5. बहुत सुन्दर।
    अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. सहृदय आभार आदरणीय 🙏🌹 सादर
      आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया पाकर रचना सार्थक हुई 🙏🙏

      हटाएं
  6. बहुत सुंदर अभिलाषा जी महिला दिवस की शुभकामनाएं 🙏

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    1. सहृदय आभार सखी 🙏🌹 सादर
      आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

      हटाएं
  7. मुश्किलें भी हमारे लिए आसान हो गई ,बेहतरीन सृजन सखी
    महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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    उत्तर
    1. सहृदय आभार सखी 🙏🌹 सादर
      आपकी प्रतिक्रिया पाकर रचना सार्थक हुई
      आपको भी महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌹🌹🙏

      हटाएं
  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अभिलाषा दी।

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह👌👌👌 अभिलाषा जी, संकल्प और शक्ति का मिलाजुला रूप है नारी। सधी रचना जो नारी के मनोबल की पराकाष्ठा का बोध कराती है। हार्दिक शुभकामनाएं ❤❤🙏🌹🌹

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    1. आपकी प्रेरणादायक प्रतिक्रिया हेतु सहृदय आभार सखी सादर

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