नेह कली मुरझाती है।
विरह वेदना बदली बनकर
हृदय गगन में छाती है
प्रीत दामिनी सी मन में तब
कड़क-कड़क गिर जाती है।।
सूने से इन नयनों से जब
पीड़ा छलके गगरी सी
बुनती हूँ सपनों के जाले
उलझी-उलझी मकड़ी सी
रंग नहीं कोई जीवन में
रजनी घिर कर आती है।
प्रीत दामिनी सी मन में तब
कड़क-कड़क गिर जाती है।
विरह-------------------।।
धूप समान सुलगता ये तन
भाव सुलगते अंगारे
वनवासी सा प्रेम हुआ है
गए साथ हैं सुख सारे
स्मृतियों के कानन में जैसे
हिरनी राह न पाती है।
प्रीत दामिनी सी मन में तब
कड़क-कड़क गिर जाती है।
विरह------------------।।
मंथन मन का करते-करते
गरल हाथ में आया है
पीकर प्यास बुझेगी कैसे
हृदय बहुत घबराया है
झोली भरकर कंटक पाए
नेह कली मुरझाती है
प्रीत दामिनी सी मन में तब
कड़क-कड़क गिर जाती है।
विरह--------------------।।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
मंथन मन का करते-करते
जवाब देंहटाएंगरल हाथ में आया है
पीकर प्यास बुझेगी कैसे
हृदय बहुत घबराया है
झोली भरकर कंटक पाए
नेह कली मुरझाती है
प्रीत दामिनी सी मन में तब
कड़क-कड़क गिर जाती है।
बहुत मार्मिक सृजन प्रिय अभिलाषा जी।
सहृदय आभार प्रिय रेणु बहन
हटाएंबहुत सुन्दर सराहनीय रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय 🙏🙏 सादर
हटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय 🙏🙏 सादर
हटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबरबस ही प्रसाद की पंक्तियाँ याद आ गईं -
इस करुणाकलित ह्रदय में क्यों विकल रागिनी बजती
क्यों हाहाकार स्वरों में वेदना असीम गरजती
Gopesh Mohan Jaswal सहृदय आभार आदरणीय 🙏 आपकी प्रतिक्रियाएं भले ही कभी-कभी मिले पर मन में उत्साह का सृजन करती हैं और भी अच्छा करने की प्रेरणा देती है ।आपका पुनः धन्यवाद 🙏🙏 कभी-कभी मनोबल बढ़ाने के लिए अपनी ऊर्जावान प्रतिक्रियाएं अवश्य देते रहिए।🙏🙏 सादर
हटाएंऐसी छंदबद्ध कविता को रचने की प्रतिभा तो जन्मजात होती है अनुराधा जी । मन भर आया पढ़कर ।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय 🙏 सादर आपकी इतनी अच्छी प्रतिक्रिया पाकर उत्साहवर्धन हुआ।
हटाएंधूप समान सुलगता ये तन
जवाब देंहटाएंभाव सुलगते अंगारे
वनवासी सा प्रेम हुआ है
गए साथ हैं सुख सारे
स्मृतियों के कानन में जैसे
हिरनी राह न पाती है।
प्रीत दामिनी सी मन में तब
कड़क-कड़क गिर जाती है..पढ़कर लगा जैसे हाई स्कूल के परीक्षा कक्ष में बैठी हूँ..और भावार्थ लिखना है..नायाब पंक्तियाँ..सुन्दर कृति..
सहृदय आभार आदरणीया 🙏 इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया पाकर मैं धन्य हुई।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
28/02/2021 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद