मेघदूत संदेशा लाए



मेघदूत संदेशा लाए
शीतल-शीतल छाँव-घनी।
तिनके-तरुवर पुष्प-पात पर
दिखती कितनी ओस-कनी।

भीषण ताप सहे वसुधा ने
पतझड़ जबसे आया था
खोकर अपना रूप सलोना
मन उसका मुरझाया था।
फिर बसंत आया चुपके से
बिगड़ी थी जो बात बनी
तिनके-तरुवर-पुष्प-पात पर
दिखती कितनी ओस-कनी।।
मेघदूत........................

नव कोंपल ने शीश उठाया
कलियों ने घूँघट खोले
मोर पपीहा कोयल बोले
भ्रमित भ्रमर मद में डोले
चंचल कलियाँ तितली बहती
आकर्षण का केंद्र बनी
तिनके-तरुवर-पुष्प-पात पर
दिखती कितनी ओस-कनी।।
मेघदूत.…................

अब मेघों ने रस बरसाया
अवगुंठन करती धरती
पहन चुनरिया धानी-धानी
खुशियाँ जीवन में भरती
तड़ित चंचला शोर मचाए
ज्यों मेघों से रार ठनी
तिनके-तरुवर-पुष्प-पात पर
दिखती कितनी ओस-कनी।।
मेघदूत....................

अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक

टिप्पणियाँ

  1. अब मेघों ने रस बरसाया
    अवगुंठन करती धरती
    पहन चुनरिया धानी-धानी
    खुशियाँ जीवन में भरती
    तड़ित चंचला शोर मचाए
    ज्यों मेघों से रार ठनी
    तिनके-तरुवर-पुष्प-पात पर
    दिखती कितनी ओस-कनी।।
    वाह!!!!
    लाजवाब नवगीत

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर नव गीत अभिलाषा जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 30 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर ! मन को भिगो देने वाला छंदबद्ध गीत । बारम्बार अभिनंदन ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सहृदय आभार आदरणीय 🙏🙏 सादर

    जवाब देंहटाएं

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