मेघदूत संदेशा लाए
मेघदूत संदेशा लाए शीतल-शीतल छाँव-घनी। तिनके-तरुवर पुष्प-पात पर दिखती कितनी ओस-कनी। भीषण ताप सहे वसुधा ने पतझड़ जबसे आया था खोकर अपना रूप सलोना मन उसका मुरझाया था। फिर बसंत आया चुपके से बिगड़ी थी जो बात बनी तिनके-तरुवर-पुष्प-पात पर दिखती कितनी ओस-कनी।। मेघदूत........................ नव कोंपल ने शीश उठाया कलियों ने घूँघट खोले मोर पपीहा कोयल बोले भ्रमित भ्रमर मद में डोले चंचल कलियाँ तितली बहती आकर्षण का केंद्र बनी तिनके-तरुवर-पुष्प-पात पर दिखती कितनी ओस-कनी।। मेघदूत.…................ अब मेघों ने रस बरसाया अवगुंठन करती धरती पहन चुनरिया धानी-धानी खुशियाँ जीवन में भरती तड़ित चंचला शोर मचाए ज्यों मेघों से रार ठनी तिनके-तरुवर-पुष्प-पात पर दिखती कितनी ओस-कनी।। मेघदूत.................... अभिलाषा चौहान'सुज्ञ' स्वरचित मौलिक