शिव वंदना

अनादि अनंत अभेद शाश्वत
कण-कण में वह सदा प्रवाहित।

अक्षर अच्युत चंद्र शिरोमणि
विष्णुवल्लभ योगी दिगंबर
त्रिलोकेश श्रीकंठ शूल्पाणि
अष्टमूर्ति शंभू शशिशेखर
ॐ प्रणव उदघोष अभ्यंतर
ऊर्जित परम करे उत्साहित
अनादि अनंत अभेद शाश्वत
कण-कण में वह सदा प्रवाहित।।

अज सर्व भव शंभू महेश्वर
नीलकंठ हे भीम पिनाकी
त्रिलोकेश कवची गंगाधर
परशुहस्त हे जगद्वयापी
ॐ निनाद में शून्य सनातन
है ब्रह्माण्ड समस्त समाहित
अनादि अनंत अभेद शाश्वत
कण-कण में वह सदा प्रवाहित।






अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 07 जून जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. अत्यंत ही अलौकिक रचना का सृजन हुआ है। अनंत शुभकामनाएँ आदरणीया ।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!! प्रिय अभिलाषा जी , अद्भुत आलौकिक शिव वन्दना। भोलेनाथ की अनुकम्पा बिन ऐसा सृजन कहाँ संभव है!! हार्दिक शुभकामनाएं 👌👌🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. जय भोलेनाथ...
    ... बहुत सुन्दर वंदना👌👌👌

    जवाब देंहटाएं

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