कदमों के निशान

रास्ते यूँ ही नहीं बनते
मुट्ठी भर लोग
रचते हैं इतिहास
बनकर मील का पत्थर
गढ़ते नए आयाम
जिंदगी को देते
नई परिभाषा
इतिहास के पन्नों में
या वक्त की रेत पर
छोड़ देते ये
कदमों के निशां
हमारी संस्कृति
या सभ्यता
उसी का है परिणाम
ये पदचिह्न
है सनातन शाश्वत सत्य
जीवन यात्रा का
हम सभी राही हैं
रह जाएंगे बाकी
हमारे कदमों के निशान
चलते रहना ही जीवन है
रह जाता है जो पीछे
या छूट जाता है जो
बनता है अतीत
आने वाली पीढ़ी को
सौंपता है विरासत
ये पदचिह्न धरोहर हैं
जो राह दिखाते हैं
मंजिल तक पहुंचाते हैं।
मार्गदर्शक बनकर
जोड़ते हैं दो युगों को।

अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक



टिप्पणियाँ

  1. सुंदर रचना एक आध्यात्मिक संदेश को समेटे हुए। आभार और बधाई!

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  2. रास्ते यूँ ही नहीं बनते
    मुट्ठी भर लोग
    रचते हैं इतिहास
    बनकर मील का पत्थर
    गढ़ते नए आयाम

    गहरे भाव समेटे ,मर्मस्पर्शी सृजन सखी ,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  3. सहृदय आभार आदरणीया 🙏🌹

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर सार्थक सृजन सखी

    जवाब देंहटाएं

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