शलभ शूलों पर चला है
लगी लौ से लगन ऐसी
प्रीत में जलना मिला
शलभ शूलों पर चला है
दोष किसका है भला।
जल रहा है प्राण मेरा
विरह का वरदान ये
जल रहा है गात मेरा
प्रेम का प्रतिदान ये
यह मिलन तो है अधूरा
चाह का है ये सिला
शलभ शूलों पर चला है
दोष किसका है भला
लगी-------------------।।
है अमरता कर्म में ही
धर्म कहता है सदा
जग प्रकाशित जो करे
सदा उर उसका जला
राह की ये विषमताएँ
आस भेदे झिलमिला
शलभ शूलों पर चला है
दोष किसका है भला।
लगी-------------------।।
ये समर्पण पूर्ण तब हो
स्वार्थ को जब त्याग दे
लक्ष्य का संधान पूरा
छोड़ कर क्यों भाग दें।
आँख भीगी तृप्त मन है
तन जला तो है जला
शलभ शूलों पर चला है
दोष किसका है भला।
लगी-------------------।।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक
प्रीत में जलना मिला
शलभ शूलों पर चला है
दोष किसका है भला।
जल रहा है प्राण मेरा
विरह का वरदान ये
जल रहा है गात मेरा
प्रेम का प्रतिदान ये
यह मिलन तो है अधूरा
चाह का है ये सिला
शलभ शूलों पर चला है
दोष किसका है भला
लगी-------------------।।
है अमरता कर्म में ही
धर्म कहता है सदा
जग प्रकाशित जो करे
सदा उर उसका जला
राह की ये विषमताएँ
आस भेदे झिलमिला
शलभ शूलों पर चला है
दोष किसका है भला।
लगी-------------------।।
ये समर्पण पूर्ण तब हो
स्वार्थ को जब त्याग दे
लक्ष्य का संधान पूरा
छोड़ कर क्यों भाग दें।
आँख भीगी तृप्त मन है
तन जला तो है जला
शलभ शूलों पर चला है
दोष किसका है भला।
लगी-------------------।।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक
सुन्दर गीत।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय 🙏🌹
हटाएंजल रहा है प्राण मेरा
जवाब देंहटाएंविरह का वरदान ये
जल रहा है गात मेरा
प्रेम का प्रतिदान ये
यह मिलन तो है अधूरा
चाह का है ये सिला
शलभ शूलों पर चला है
वाह!!!
लाजवाब सृजन।
सहृदय आभार सखी 🌹🌹 सादर
जवाब देंहटाएंहै अमरता कर्म में ही धर्म कहता है सदा.....वाह बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी 🌹🌹 सादर
हटाएंवाह!सखी बहुत खूबसूरत सृजन ।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी 🌹🌹 सादर
हटाएंसहृदय आभार आदरणीया 🙏🌹 सादर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय दीदी.
जवाब देंहटाएंसादर
सहृदय आभार सखी 🌹🌹 सादर
हटाएंवाह बहुत खूबसूरत नवगीत
जवाब देंहटाएंअथाह दर्द समेटे सुंदर सृजन सखी ।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी 🌹🌹 सादर
हटाएंवाह !लाजवाब सृजन दी।
जवाब देंहटाएंसादर