अणु कोरोना हार चलेगा
हाहाकार मचा है जग में
कैसे बेड़ा पार लगेगा
मन में आशा आस जगाए
जीवन का ये पुष्प खिलेगा।
लाशों के अंबार लगे हैं
बिछड़ रहे अपनों से अपने
साँसों की टूटी डोरी में
टूट रहें हैं सपने कितने
बंदी जीवन भय का घेरा
लेकिन सुख का सूर्य उगेगा
मन में आशा आस जगाए
जीवन का ये पुष्प खिलेगा।।
काल कठोर भयंकर भारी
निर्धन को अब भूख निगलती
रोग नचाता नाच अनोखा
उसके आगे किसकी चलती
हार गया वो मानव कैसा
साहस संयम साथ चलेगा
मन में आशा आस जगाए
जीवन का ये पुष्प खिलेगा।।
थमती रुकती जीवन धारा
फिर से हो मदमस्त बहेगी
अंधकार की काली छाया
ज्यादा दिन तक नहीं रहेगी
प्रचण्ड रूप देख अणिमा का
अणु कोरोना हार चलेगा
मन में आशा आस जगाए
जीवन का ये पुष्प खिलेगा।।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक
आशा की ज्योत जगाती बहुत ही लाजवाब रचना...।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
सहृदय आभार सखी 🌹🌹 सादर
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय 🙏🌹
हटाएंवह सुबह कभी तो आएगी........
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय 🙏🌹
हटाएंवाह! बेहतरीन सृजन आदरणीया दीदी.
जवाब देंहटाएंसादर
सहृदय आभार सखी 🌹🌹 सादर
हटाएंसहृदय आभार सखी 🌹🌹 सादर
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