मनोकामना


नव विहान

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विहान नववर्ष का
भावों के उत्कर्ष का
प्रेम भाव खिल उठे
द्वेष राग मिट चले
ऐसा नव विहान हो
खुशियों का जहान हो
कोई दुखी न दीन हो
दुखों के पल क्षीण हो
कामना ये मन में पली
खिल उठे अब हर कली
भ्रांतियों का अंत हो
ज्ञान दिग्दिगंत हो
हार -जीत से परे
राग-द्वेष मिट चले
छोड़ दो अब क्रूरता
पालना न भीरूता
बुराईयों का अंत हो
अब न कोई प्रपंच हो
हैवानियत का अंत हो
आँख अब खुली रखें
गलतियों को न ढकें
अस्मिता पर न वार हो
दानवों की हार हो
मानवता पुकारती
अब नया विहान हो
पूरे सबके अरमान हो।



अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक


टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुंदर
    नव वर्ष की हार्दिक शुभेच्छा 💐

    जवाब देंहटाएं
  2. सहृदय आभार
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌷

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०४-०१-२०२०) को "शब्द-सृजन"- २ (चर्चा अंक-३५८०) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….

    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति अनुराधा जी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं

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