कुंडलियां छंद
"हालात"
सारा देश उबल रहा, बड़े बुरे हालात।
कैसा ये अधर्म हुआ,लगा बहुत आघात।
लगा बहुत आघात,समय कैसा है आया।
बना युवा उद्दंड,देख के मन घबराया।
नहीं रहा संस्कार,चढ़ा रहता है पारा।
बाल-वृद्ध लाचार,देखा खेल जो सारा।
जलती बेटी आग में ,कैसे ये हालात।
नरभक्षी मानव बना,करे घात पर घात।
करे घात पर घात,हवस का बना पुजारी।
करता मीठी बात,बना तलवार दुधारी।
कहे अपना खुद को,मुंह से लार टपकती।
बहू हो या बेटी,देखी आग में जलती।
बढ़ती जाती कीमतें,प्याज छुए आकाश।
आम आदमी पिस रहा,जाए किसके पास।
जाए किसके पास,सभी है मन के राजा।
बुरे हुए हालात,बजा है उसका बाजा।
उड़ी हुई है नींद, गृहस्थी कैसे चलती।
कमर तोड़ती आज,नित मंहगाई बढ़ती।
अभिलाषा चौहान
सादर समीक्षार्थ 🙏🌷
समसामयिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय 🙏🌷
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०६-१२-२०१९ ) को "पुलिस एनकाउंटर ?"(चर्चा अंक-३५४२) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
सहृदय आभार सखी सादर
हटाएंबहुत सुन्दर और समसामयिक कुण्डलियाँ !
जवाब देंहटाएंवाह!!सखी लाजवाब सृजन ।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी सादर
हटाएं
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
08/12/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
सुंदर सृजन सखी
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी 🙏🌹
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
९ दिसंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,
सहृदय आभार सखी,सादर
हटाएंबहुत सुन्दर समसामयिक लाजवाब कुण्डलियाँ
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी सादर
हटाएंVery nice
जवाब देंहटाएं