मौन-मनन

मौन
श्रेयस्कर हो सदा
यह उचित कैसे भला
मौन में समाहित
अथाह वेदना
भीरूता का अंश घुला
मौन की भाषा
कौन पढ़ सकता भला
चुप वही जिसका
कभी परिस्थितियों पर न जोर चला
मौन यूं तो 
कई मतभेदों को देता विराम है
लेकिन हर समय
बस मौन रहना कायरता का काम है
है छिपा तूफान
इस सपाट निर्विकार मौन में
अन्याय,शोषण,अधर्म पर
मौन से कहां लगा विराम है
कुचली जाती कली मासूम
गरीब भूखा जब सो रहा
छल-फरेब माया का जाल
पूंजीवादी जब बो रहा
सत्ता के ठेकेदार 
जब चूसते हैं रक्त को
जब छिन रहे अधिकार सारे
और शब्द भी न रहें हमारे
तब मौन रहकर देखना बस देखना
है खुली आंखें मगर
बस मुर्दा बन कर बैठना
ये मौन घातक शत्रु बन
तब सोखता जीवन के रस
न रहो तुम यूंही मौन
कि हो जाओ पूर्णरूपेण विवश
बदलना है व्यवस्था को
मौन से संभव नहीं
मौन की कीमत वहीं
जब किसी का इससे भला
मौन से मन का मनन
करना सदा है श्रेयस्कर
समस्या-समाधान, चिंतन है सदा श्रेष्ठकर।


अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक

टिप्पणियाँ

  1. इस मन में क्रोध भी है क्षोभ भी है.. परिस्थितियों से बाहर निकलने को व्याकुलता भी है सब कुछ समाहित कर दिया आपने अपनी इस कविता में समसामयिक विषयों को भी जगह दी बहुत ही अच्छा लिखा आपने मौन को सिर्फ एक प्रकृति ना बनाओ मौन को कभी-कभी स्वर भी देनी चाहिए ताकि आप अपने आप को साबित कर सके.....।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह !
    बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ।
    बेहतरीन सृजन।
    लाजवाब।

    जवाब देंहटाएं
  3. मौन रहकर सोचा जाए कि दूसरों की भलाई किस में है
    न कि भलाई करने में मौन रहा जाए।
    सटीक, सार्थक
    आपकी इस रचना का जवाब नहीं।

    मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है👉👉 जागृत आँख 

    जवाब देंहटाएं
  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10 -11-2019) को "आज रामजी लौटे हैं घर" (चर्चा अंक- 3515) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं….
    **********************
    रवीन्द्र सिंह यादव

    जवाब देंहटाएं
  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ११ नवंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
    iwillrocknow.com

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत गहन विवेचना करता, मौन पर सुंदर लेखन।

    जवाब देंहटाएं
  8. मौन रहकर भी बहुत कुछ कहती ,बहुत ही सुंदर सृजन अभिलाषा जी

    जवाब देंहटाएं
  9. सहृदय आभार आदरणीय 🙏🙏 सादर

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सवैया छंद प्रवाह

जिसे देख छाता उल्लास

सवैया छंद- कृष्ण प्रेम