बस तस्वीर में रह गए तुम

बस तस्वीर में रह गए तुम,
रह गई यादें..
जो उमड़ती है,
देख तस्वीर तुम्हारी,
या यादों के आते ही,
देख लेती हूं तस्वीर तुम्हारी !!
बस रह गए मुट्ठी में...
बीते लम्हें,
वो प्यार,
वो नोंक-झोंक,
वो बचपन,
वो रेशमी बंधन,
वो मुस्कान,
जो खेलती थी चेहरे पर..
तुम्हारे !!
ये अमिट तस्वीर
संजोए ,
दिल के किसी कोने में,
यादों के बिछोने में,
बन रही है एक और
तस्वीर!!
जिसमें बसा है प्रेम,
वो अटूट बंधन,
वो साथ पलछिन का,
जीना भी उसके संग,
रंगना उसी के रंग,
बस तुम नहीं हो!
पर हर पल यहीं हो!!
मेरी यादों में,
मेरी जिंदगी में,
जो बन गई है जैसे,
तस्वीर तुम्हारी!!

अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक

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