सच्ची मित्र ये किताबें
किताबें हैं सच्ची मित्र,
इनका संसार है विचित्र।
ये संजोए जीवन का सार,
ज्ञान का ये भंडार अपार।
देती हैं ये दिल खोल,
सब कुछ ये देती हैं बोल।
देती हैं जीवन को गति,
शुद्ध-बुद्ध होती है मति।
मिटाती हैं ये अंधकार,
ज्ञान का ये करती हैं प्रसार।
हैं ये जीवन का दर्शन ,
विचारों का करें संवर्धन।
साक्षी हैं ये इतिहास की,
मानव के अद्भुत विकास की।
संस्कृति की ये संवाहक,
आस्थाओं की संस्थापक।
आदर्शों की जननी हैं ये,
समाज की गरिमा है ये।
बहाती काव्य-रस धार,
इनका हम पर है उपकार।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
किताबों में छिपा ज्ञान का भंडार होता है
जवाब देंहटाएंकिताबें समाज की अनुपम धरोहर होती है
सहृदय आभार
हटाएंसही कहा अभिलाषा दी। किताबो के जैसा कोई मित्र हो ही नहीं सकता। सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
८ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सहृदय आभार श्वेता जी,सादर
हटाएंसही कहा वाह !!!!!!! अनूठा शब्द प्रवाह !!!
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार संजय जी,सादर
हटाएंवाह।बेहतरीन रचना।अद्भूत।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी,सादर
हटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन सखी
जवाब देंहटाएंसादर
सहृदय आभार सखी,सादर
हटाएंसहृदय आभार
जवाब देंहटाएंकविता सच्ची भी है और अच्छी भी । अभिनंदन एवं शुभेच्छाएं ।
जवाब देंहटाएंनमस्ते.....
जवाब देंहटाएंआप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की ये रचना लिंक की गयी है......
दिनांक 26/02/2023 को.......
पांच लिंकों का आनंद पर....
आप भी अवश्य पधारें....