कारगिल विजय दिवस

कारगिल विजय दिवस
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नमन शहीदों को !
देश के सपूतों को !
वीर जवानों को !
उन शूरवीरों को ...
हार नहीं मानी थी,
मन में जो ठानी थी,
शत्रु को हराना है,
धूल उन्हें चटाना है।
आंच नहीं आने दी,
मातृभूमि के दीवानों ने,
प्राण अपने वार दिए,
विजय का हार लिए,
तिरंगे के मान रखा !
कारगिल पर पांव रखा !
देश की करके रक्षा,
पूरी कर ली अपनी इच्छा,
बहनों की नम आंखें हुईं,
मां-बाप की खुशियां खोईं,
पत्नियों के उजड़े सिंदूर,
बच्चों से हुए पिता दूर,
ग़म में भी खुशी छलकी!
विजय की मिली थी खुशी !
गर्व से दमकती भीगी आंखें,
वीर सपूतों को याद करके।
धन्य हैं वे माता-पिता
धन्य है हम भारतवासी
जो ऐसे वीर सपूतों को पाया
जिन्होने वतन पर सर्वस्व लुटाया।


अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक।


टिप्पणियाँ

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. स्वार्थ से परे....बहुत मार्मिक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर यश-गान वीर सैनिक सपूतों का।

    जवाब देंहटाएं
  4. शहीदों की वीरगाथा का सुन्दर यशगान...
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं

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