अनछुए एहसास

एहसास मरते नहीं,
जिंदा रहते हैं सदा।
एहसास सदा देते हैं,
जीने की वजह।
मेरी हर बात को,
तेरा बिन कहे समझ लेना।
आहिस्ता से मेरे दर्द को,
प्यार से सहला देना।
बिन बोले ही समझ लेना,
परेशानियों को।
एहसास नहीं तो और क्या है..!!
मेरे माथे की सिकुड़ती लकीरों से,
बढ़ना तेरी बैचेनी का..
थाम कर हाथ मेरा,
बांट लेना मेरी परेशानी को।
मैं समझती हूं..
तेरी हर बात बिन बोले!
तू कहे या न कहे,
एहसास मुझे होता है।
ये अनूठा बंधन है,
एहसासों का।
एहसास ही बता देते हैं..
अहमियत एक-दूजे की !
ये जो मुस्कराहटें हैं मेरी-तेरी,
एहसासों से ही जाग जाती हैं।
एहसास जिंदा रहते हैं..
दिल की धड़कनों में सदा,
ये हैं ऐसी छुअन अनदेखी,
जिससे मै-तुम..,
हम बन जाते हैं।

अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक

टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुंदर रचना और तस्वीर

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २२ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर हृदय स्पर्शी रचना सखी
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूबसूरत एहसास....
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं

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