अनुपम किताबें (विधा-सेदोका)
विद्या की देवी
अनुपम किताबें
सदा देती हैं सीख
दिखाती राह
मिटाती हैं अज्ञान
बनकर वरदान।
किताब कहे
कहानी अनसुनी
सुख-दुख से बुनी
अपनी लगे
जिंदगी से हैं जुड़ी
सपनों की हैं लड़ी।
किताबें साथी
अकेलापन मिटे
अंधकार भी छटे
भाव सबल
साहित्य का भंडार
अनोखा है संसार।
किताबें बोझ
बचपन है दबा
फिरे इनको लादे
भूला है खेल
बड़ी रेलमपेल
बन गया है जेल।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
अनुपम किताबें
सदा देती हैं सीख
दिखाती राह
मिटाती हैं अज्ञान
बनकर वरदान।
किताब कहे
कहानी अनसुनी
सुख-दुख से बुनी
अपनी लगे
जिंदगी से हैं जुड़ी
सपनों की हैं लड़ी।
किताबें साथी
अकेलापन मिटे
अंधकार भी छटे
भाव सबल
साहित्य का भंडार
अनोखा है संसार।
किताबें बोझ
बचपन है दबा
फिरे इनको लादे
भूला है खेल
बड़ी रेलमपेल
बन गया है जेल।
अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (06 -07-2019) को '' साक्षरता का अपना ही एक उद्देश्य है " (चर्चा अंक- 3388) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
सहृदय आभार सखी
हटाएंसहृदय आभार सखी,सादर
हटाएंबहुत ही सुंदर रचना सखी
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार,सादर
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
८ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सहृदय आभार श्वेता जी,सादर
हटाएंवाह!!सखी ,बहुत खूबसूरत सृजन ।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी
हटाएंकिताबें साथी
जवाब देंहटाएंअकेलापन मिटे
अंधकार भी छटे
भाव सबल
साहित्य का भंडार
अनोखा है संसार।
बहुत लाजवाब....
वाह!!!
सहृदय आभार सखी
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