मानवता की मौत
मासूम बेटी
मां-बाप का खिलौना
भोगती दंड
असह्य अत्याचार
मानवता की मौत।
**************
झाड़ी में शिशु
रोता औ बिलखता
कुत्ते नौंचते
भीड़ देखे तमाशा
मानवता की मौत।
**************
मदद मांगें
दुर्घटना से ग्रस्त
पत्थरदिल
खींचते हैं तस्वीरें
मानवता की मौत।
**************
राह चलते
मनचलों की आंखें
भेदती तन
सहमी-सहमी सी
बेटियों की जिंदगी
**************
वृद्ध लाचार
मांगें भिक्षा राहों में
बेघरबार
वृद्धाश्रम आश्रय
निकृष्ट हैं संतान।
**************
बच्चे लापता
होता अपरहण
मांगते भिक्षा
बेटियां बेचे तन
निष्ठुर मानवता।
**************
नशे की लत
बरबाद हैं घर
नित हो क्लेश
पड़ता है असर
बच्चे कुंठा से ग्रस्त।
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अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
मां-बाप का खिलौना
भोगती दंड
असह्य अत्याचार
मानवता की मौत।
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झाड़ी में शिशु
रोता औ बिलखता
कुत्ते नौंचते
भीड़ देखे तमाशा
मानवता की मौत।
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मदद मांगें
दुर्घटना से ग्रस्त
पत्थरदिल
खींचते हैं तस्वीरें
मानवता की मौत।
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राह चलते
मनचलों की आंखें
भेदती तन
सहमी-सहमी सी
बेटियों की जिंदगी
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वृद्ध लाचार
मांगें भिक्षा राहों में
बेघरबार
वृद्धाश्रम आश्रय
निकृष्ट हैं संतान।
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बच्चे लापता
होता अपरहण
मांगते भिक्षा
बेटियां बेचे तन
निष्ठुर मानवता।
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नशे की लत
बरबाद हैं घर
नित हो क्लेश
पड़ता है असर
बच्चे कुंठा से ग्रस्त।
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अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक
मार्मिक हृदय स्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार,सादर
जवाब देंहटाएंबिलकुल सटीक ,मार्मिक चिंतन ,बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सखी,सादर
हटाएंअभिलाषा दी,समाज में रोज होती घटनाओं का सटिक विश्लेषण किया हैं आपने।
जवाब देंहटाएं