उजाले तेरी यादों के

         
                उजाले तेरी यादों के,
               सदा रहते मेरे मन में।
कमी खलती बहुत तेरी,
है खालीपन जीवन में।
             छटपटाती कभी जब मैं,
            तेरी यादों की किरण कोई।
दिलाती आस मुझको है,
कि तू हर पल है जीवन में।
               रातों के घने अंधेरों में,
               तन्हाई बड़ी सताती है।
तभी इक टूटते तारे की,
चमक कुछ याद दिलाती है।
                गया जो इस जहां से है,
                वो दिल से गया कहां है।
तू तन्हाईयों में अकेली,
क्यों आंसू बहाती है।
                दे गया है तुझे वो प्रेम का,
                 प्रतिदान कुछ ऐसा।
जिससे दुख के अंधेरों में,
किरण उजाले की मुस्काती है।
                न खो इस तरह तू कभी भी,
                खुद को भूलती जाए।
सहेजती चल उजालों को,
कि नई इक भोर आती है।
               जिया जो साथ में जीवन,
               खेलें बचपन में थे जो खेल।
मौत में भी कहां ताकत
जो उन्हें छीन पाती है।


अभिलाषा चौहान
स्वरचित मौलिक

टिप्पणियाँ

  1. सच कहा अभिलाषा दी कि यादों को हमसे कोई नहीं छीन सकता। सुंदर अभिव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    हृदय स्पर्शी रचना ।
    यादों को कौन मिटा पाया।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह बहुत सुन्दर ह्रदय स्पर्शी रचना

    जवाब देंहटाएं
  4. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 07/06/2019 की बुलेटिन, " क्यों है यह हाल मेरे (प्र)देश में - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १० जून २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  6. किसी की जुदाई के अँधेरे यादों के उजाले से भी पूरी तरह खत्म नहीं होते....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सच कहा सखी,किन्तु यादें एहसास कराती हैं कि
      साथ में बीते समय को हमसे कोई नहीं छीन नहीं
      सकता।

      हटाएं
  7. रातों के घने अंधेरों में,
    तन्हाई बड़ी सताती है।
    तभी इक टूटते तारे की,
    चमक कुछ याद दिलाती है।....बहुत ही सुन्दर रचना दी जी

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जिसे देख छाता उल्लास

सवैया छंद प्रवाह

देखूं आठों याम